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डर्बनमें सार्वजनिक पुस्तकालयका उद्घाटन

हम आशा करते हैं कि एजेंट और प्रधान कार्यालयोंके प्रबन्धक दोनों इन पंक्तियोंको देखेंगे; और हम भारतीय व्यापारियोंको भी जोरदार सलाह देते हैं कि वे प्रधान कार्यालयोंको अपने आवेदन भेजें। इस विषय में पॉचेफस्ट्रमके लोगोंकी जो नीति बनती जा रही है वह नितान्त अब्रिटिश है। अब यह देखना शेष है कि ट्रान्सवालके अन्य भागोंमें उसका समर्थन कहाँतक किया जाता है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपीनियन, ७-१-१९०५

२८१. प्लेग

ईस्ट लंदनसे खबर आई है कि वहाँ दो गोरोंको प्लेग हो गया है। ऋतु गर्म और वर्षाकी है, इसलिए यह प्लेग फैलनेका वक्त है। हमारा एक संवाददाता जो लिखता है उसके अनुसार हम लोग अभी जागृत नहीं हुए। डॉ० म्यूरिसनकी[१] हमदर्दी पूरी है। वे हम लोगोंको सहायता देना चाहते हैं। इसलिए हमारा कर्त्तव्य है कि उनके द्वारा दिये गये अवसरका लाभ लें। केवल स्वार्थमें अथवा आलस्य में पड़े रहकर हमें जो करना चाहिए वह न करेंगे तो हमें भय है कि भविष्य में पछताने का समय आयेगा। पहलेकी तरह एक समिति नियुक्त करके घरोंमें जाँच करनेकी और जहाँ गन्दगी हो वहाँसे उसे हटानेका प्रयत्न करनेकी पूरी आवश्यकता है। और हमें आशा है कि अगुआ लोग इस दिशामें तुरन्त कदम उठायेंगे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ७-१-१९०५

२८२. डर्बनमें सार्वजनिक पुस्तकालयका उद्घाटन

नीचे दी हुई रिपोर्ट गांधीजीके एक भाषणकी है, जो उन्होंने नेटाल सनातन धर्म सभा के संस्थापक स्वर्गीय श्री भाईकी स्मृतिमें स्थापित पुस्तकालयका उद्घाटन करते हुए दिया था।

[डर्बन
जनवरी १०, १९०५ ]

उन्होंने अपने भाषण में पुस्तकालयकी स्थापना करनेवालोंको कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि डर्वन जैसे बड़े शहर में, जहाँ भारतीयोंकी खासी आबादी है, एक अच्छे पुस्तकालयकी निस्सन्देह ही जरूरत है; और इसे पूरा करनेके लिए कुछ समय पहले डर्बनके अग्रगण्य व्यापा-रियों और नागरिकोंने प्रयत्न करके हीरक जयन्तीकी यादगारमें उसी नामका एक पुस्तकालय[२] खोला था। किन्तु बाद में पर्याप्त सार-सँभाल और देखरेखके अभावमें वह बंद हो गया। उन्होंने आशा प्रकट की कि इस पुस्तकालयकी हालत वैसी नहीं होगी बल्कि दिनपर-दिन अच्छी होगी

  1. डर्बनके स्वास्थ्य-चिकित्सा अधिकारी।
  2. देखिए खण्ड २ पृष्ठ ३५७। हीरक जयन्ती पुस्तकालयका साज-सामान और पुस्तकें नये पुस्तकालयको दे दी गई।