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भारतीय कांग्रेस और रूसी जेम्स्त्वो

हम नम्रतापूर्वक बताना चाहते हैं कि इतिहास-लेखकोंमें से मेकॉले एक ऐसे इतिहास-लेखक हैं, जिनकी पुस्तकें अब अपनी सचाई या घटनाओंके तथ्य-मात्रके यथावत् वर्णनके लिए नहीं पढ़ी जातीं, बल्कि लेखककी साहित्यिक शैली और गुणोंके लिए पढ़ी जाती हैं। फिर भी, जब मेकॉलेका उद्धरण दिया ही गया है तो हम उनके निम्नलिखित शब्द उद्धृत करनेके लिए कोई क्षमा-याचना नहीं करते। ये शब्द अभी, आज और सदा-सर्वदा --जबतक भारत और इंग्लैंडएक साथ बँधे हुए हैं --सार्थक रहेंगे ।

मैं एक सम्पूर्ण समाजको अफीम खिलानेकी, अपने हाथोंमें ईश्वर द्वारा सौंपे हुए एक महान राष्ट्रको सिर्फ इसलिए मदहोश और पंगु बना देनेकी सम्मति कभी न दूँगा कि वह हमारे नियन्त्रणमें रहनेके अधिक उपयुक्त बन जाये । उस सत्ताका क्या मूल्य, जिसकी नींव दुर्गुणोंपर, अज्ञानपर और दुःख दैन्यपर रखी गयी हो; जिसका संरक्षण हम उन अत्यन्त पवित्र कर्तव्योंको भंग करके ही कर सकते हों, जिनके लिए हम शासकोंकी हैसियतसे शासितोंके प्रति जिम्मेदार हैं; और जिन कर्तव्योंके रूपमें साधारणसे अधिक राजनीतिक स्वतन्त्रता और बौद्धिक प्रकाशके धनीके नाते हमें उस जातिका ऋण चुकाना है, जो तीन हजार वर्षके निरंकुश शासन और पुरोहितोंकी धूर्ततासे अध:पतित हो गई है ? अगर हम मानव-जातिके किसी अंगको अपने ही बराबर स्वतन्त्रता और सभ्यता प्रदान करनेको तैयार नहीं हैं, तो व्यर्थ ही स्वतन्त्र हैं, व्यर्थ ही सभ्य हैं।[१]

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १४-१-१९०५

२८५. भारतीय कांग्रेस और रूसी जेम्स्त्वो[२]
एक तुलना - १

सर विलियम वेडरबर्न और सर हेनरी कॉटनको लन्दनसे विदाई देनेके पूर्व नवम्बर २९, १९०४ को वहाँके निवासी हमारे भारतीय भाइयों और यूरोपीय मित्रोंने वेस्टमिन्स्टर पैलेस होटलमें एक भोज दिया था और कई विशिष्ट महानुभावोंको निमन्त्रित किया था । उस अवसरपर भाषण भी दिये गये थे । सर हेनरी कॉटनने अपने भाषण में भारतीय कांग्रेस और रूसी जेम्स्त्वोकी थोड़ी -सी तुलना की थी, और उसके बादके जो समाचार प्राप्त हुए हैं उनके आधारपर उनकी तुलना कुछ विचार उत्पन्न करती है।

भारतीय कांग्रेस क्या है, उसकी पैदाइश, उसका कार्य, और लोगों एवं सरकारपर उसका प्रभाव –– इन सब बातोंके बारेमें प्रत्येक भारतीयको सामान्य जानकारी है, और न हो तो होनी चाहिए । कांग्रेसकी स्थापनाको आज बीस वर्ष हो चुके हैं । उसका पहला अधिवेशन बम्बई में हुआ था, और उस समय हमारे भारतीय नेताओंकी हौस और हिम्मतको देखकर दीर्घदर्शी लोगोंको भरोसा हो गया कि यह संस्था भारतको जीवन देने में अवश्य समर्थ होगी। कांग्रेसका यह मूल खास तौर

  1. देखिए खण्ड १, पृष्ठ १६४ ।
  2. रूसकी स्थानीय क्षेत्रीय सभाएँ, जो रूसी जिलोंमें राज-काजका नियंत्रण करती थीं और वोल्शेविकों द्वारा सन् १९१७ में भंग कर दी गई।