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२८८. पत्र : जे० स्टुअर्टको[१]

२१-२४ कोटे चेम्बर्स
नुक्कड़, रिसिक ऐंड ऐंडर्सन स्ट्रीट्स
पो० ओ० बॉक्स ६५२२
जोहानिसबर्ग
जनवरी १९, १९०५

श्री जे० स्टुअर्ट

आवासी न्यायाधीश

डर्बन

प्रिय श्री स्टुअर्ट,

मैं इंडियन ओपिनियन पत्र की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। यह अठारह महीनोंसे निकल रहा है । इस अवधि में मेरा इससे घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। यह दक्षिण आफ्रिकाके दो महान् समाजों के बीच दुभाषियेकी तरह काम करता है, इसलिए मेरी नम्र सम्मतिमें यह एक मूल्यवान सेवा कर रहा है। उसका उद्देश्य साम्राज्य भावनाका पोषण है, और यद्यपि वह दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतोंपर जोर देता है, और उसे जोर देना भी चाहिए, वह प्रायः भारतीय समाजकी भावनाओंको नरम बनाता है और उसे साफ तौरपर उसकी त्रुटियाँ बताने से कभी नहीं चूकता। किन्तु अब अपने नये वेष और नये घरमें वह इससे बहुत अधिकका प्रतीक है। अब वह उस योजनाका प्रतीक है, जिसका संक्षिप्त वर्णन संलग्न है[२] और वह सफल हो गई तो सम्भव है, व्यवसायके तरीकोंमें वह क्रान्ति-सूचक हो । कुछ भी हो, चार स्वतन्त्र अंग्रेजोंने अपने धन्धे, जिनमें वे लगे थे इस उद्देश्यकी प्राप्तिके लिए छोड़ दिये हैं और उतने ही भारतीयोंने भी वैसा ही किया है[३], उनकी यह बात आपके मनको भायेगी। किन्तु इन आठ संस्था- पकोंके दलके बावजूद योजनाकी सफलताके लिए सार्वजनिक सहयोगपर अवलम्बित रहना पड़ेगा । मुझे लगता है, आप कई तरहसे इस प्रयासमें मदद कर सकते हैं। एक तरीका है उसका ग्राहक बन जाना और कभी-कभी नामसे या गुमनाम उसमें लेख लिखना । वार्षिक मूल्य नेटालमें १२ शि० ६ पैंस और नेटालके बाहर १७ शि० है । कार्यालय फीनिक्स नेटालमें स्थित है। यदि आपको इंडियन ओपिनियनका उद्देश्य ठीक जान पड़े और वह जिस योजनाका प्रतीक है वह आपको

  1. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ ४८६-८७ ।
  2. यह उपलब्ध नहीं है । किन्तु जान पड़ता है वह वहीं पत्र है जो गांधीजीने गोखलेको १३ जनवरीके अपने पत्रके साथ इंडियन ओपिनियनके फीनिक्ससे प्रकाशनके बारेमें लिखा था । गांधीजीने अपने दिसम्बर १०, १९०४के दादाभाई नौरोजीको लिखे गये पत्र में जो उल्लेख किया है उससे सिद्ध होता है कि यह कदाचित् " अपनी बात " शीर्षक इंडियन ओपिनियनके सम्पादकीयकी नकल या अलगसे मुद्रित प्रतियाँ थीं ।
  3. सम्भवत: अंग्रेजोंमें हर्बर्ट किचिन, अलबर्ट वेस्ट, तथा हेनरी पोल्क और भारतीयों में छगनलाल गांधी, मगनलाल गांधी और आनन्दलाल गांधीकी ओर इशारा है । मगनलाल और आनन्दलाल १९०२ में गांधीजीके साथ दक्षिण आफ्रिका गये थे ।