सहारा देनेके योग्य लगे तो क्या ऊपरकी दो प्रार्थनाओंके सिवा कृपया उत्साह देनेवाला एक पत्र मुझे लिख भेजेंगे जिसे मैं प्रकाशनके लिए सम्पादकोंको दे सकूँ ?
आपका विश्वस्त,
मो० क० गांधी
पुनश्च : मैं सोचता हूँ, आप जब-तब पत्रके लिए अराजनैतिक विषयोंपर लिख सकेंगे ।[१]
मो० क० ग०
मूल अंग्रेजीसे अनुवादित : कुमारी केली कैम्बैल, डर्बन के सौजन्यसे ।
२८९. भारतीयोंकी उदारता और उसका परिणाम
पाठक इस अंकके एक अन्य स्तंभमें पाँचेफस्ट्रूमके मुख्य पुलिस अधिकारी और पॉचेफस्ट्रमकी ब्रिटिश भारतीय समितिका पत्रव्यवहार देखेंगे। यह एक साजसज्जा-युक्त अग्निशामक दल (फायर ब्रिगेड) बनानेकी योजनाको चलानेके लिए समितिके चन्देके बारेमें है । यह पत्रव्यवहार कुछ सप्ताह पहले हुआ था और इससे भारतीय चरित्र के एक ऐसे पहलूपर दिलचस्प प्रकाश पड़ता है, जिसकी उपेक्षा अबतक पाँचेफस्ट्रमके गोरे निवासियोंने सावधानी के साथ की है । आशा है कि इन दो पत्रोंमें जिन तथ्योंका उल्लेख है उनका अन्य समाचारपत्र अधिक व्यापक प्रचार करेंगे, क्योंकि यह बहुत वांछनीय है कि हमारे विरोधी पॉचेफस्ट्रूमके ब्रिटिश भारतीय समाजका रुख सही-सही समझ लें ।
हमें मालूम हुआ है कि नगरपालिका अग्निशामक दलकी योजनाके लिए आवश्यक आर्थिक सहायता देने में असमर्थ रही और, जहाँतक हम जानते हैं, इसी कारण वह योजना विफल हो गई ।
परन्तु जो बात हम स्पष्ट करना चाहते हैं, यह है कि जिस समय कप्तान जोन्सने प्रस्ताव किया और श्री रहमानने उसे स्वीकार किया, उस समय अनेक भारतीय व्यापारी और वे भी, जो योजनाके कोष में सबसे ज्यादा चन्दा देते, पहलेसे ही आगका बीमा कराये हुए थे ।
परिणामको दृष्टिमें रखते हुए हम चाहते हैं कि इस विषयको बहुत सावधानीके साथ समझ लिया जाये, क्योंकि इससे पाँचेफस्ट्रम "पहरेदार संघ " की बदलेकी वृत्तिकी कुछ मनहूस पृष्ठभूमिके सामने वहाँके ब्रिटिश भारतीय समाजके हेतुओंकी निःस्वार्थता अत्यन्त स्पष्ट रूपमें अंकित हो जाती है ।
अपने ७ जनवरीके अंकमें हमने पॉवेफस्ट्रम के एक आग-बीमेके एजेंटकी इस कार्रवाईकी ओर तत्काल ध्यान आकर्षित किया था कि उसने कुछ ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंकी पालिसियोंको, जिनके द्वारा उनके स्थानोंका आग-बीमा किया गया था, पहले सूचना दिये बिना, रद करा दिया। ये पालिसियाँ अभी कई महीनोंतक समाप्त होनेवाली नहीं थीं । मालूम हुआ है कि यह भला आदमी दुनियाकी एक सबसे पुरानी आग-बीमा कम्पनीका प्रतिनिधित्व करता है । कमसे कम छः बड़े व्यापारियोंपर इसका असर पड़ा है और उनके मकानों-दूकानोंका अब आग-बीमा नहीं
- ↑ . यह गांधीजीके स्वाक्षरोंमें है । शेष पत्र, जो कदाचित् प्रभावशाली व्यक्तियोंको भेजा गया, परिपत्र होने के कारण टाइप किया हुआ है ।