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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/४०५

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प्लेग

राजनीति में बड़ा अन्तर है, दोनों देशोंके लोगोंकी स्थितियों और भावनाओंमें अन्तर है; परन्तु अधि- कारी संख्या में थोड़े-से, किन्तु विशेष सत्ताधारी हैं । और इससे जनता और उनके बीचका सम्बन्ध शोभाजनक नहीं है। भारत और रूसकी परिस्थितियाँ भिन्न हैं, फिर भी लोगोंकी भावनाएँ और माँगें कई बातों में एक ही हैं यह बात, ऊपर जो कुछ कहा गया है, उससे स्पष्ट हो गई होगी। कारण है, दोनों देशोंमें राजा और प्रजाके बीच अयोग्य और थोड़ा सम्बन्ध । जिस प्रकार कारण समान हैं उसी प्रकार परिणाम भी समान हैं ।

कुदरत एक आश्चर्य है । गत नवम्बर मासमें बम्बई में भारतीय कांग्रेस में चर्चा योग्य विषयों पर खुला विचार हुआ। उसी समय रूसमें वहाँकी स्थानिक संस्थाओंने, जो जेम्स्त्वो कही जाती हैं, अपनी भावनाओं और माँगोंकी घोषणा की। कांग्रेस में प्रस्तुत किये जानेवाले प्रस्तावोंपर प्रान्तोंकी स्थानिक सभाओं में पहलेसे चर्चा की गई थी, और बादमें वे मुख्य कमेटीकी ओरसे घोषित किये गये थे । जेम्स्त्वोके प्रस्ताव सेंट पीटर्सबर्ग में प्रकाशित किये गये थे और उनके पक्षमें ३४ में से ३१ स्थानिक जैम्स्त्वो संगठनोंकी सम्मति प्राप्त हुई थी ।

(अपूर्ण)[]

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २१-१-१९०५

२९१. प्लेग[]

जोहानिसबर्ग,
जनवरी २३, १९०५

मैं पिछले सप्ताह प्लेगके फैलनेके समाचार और उसके सम्बन्धमें कुछ नियम लिख चुका हूँ।[] इस बीच समाचार प्राप्त हुआ है कि डर्बनमें प्लेगकी छः या सात घटनाएँ हो चुकी हैं। इनमें भारतीय और काफिर ही हैं। यह साफ दीखता है कि हम लोगोंमें प्लेग फैलनेमें देर नहीं लगती। यदि प्लेगने घर कर लिया तो फिर घूमना-फिरना बड़ा कठिन होगा। इसलिए मैं पिछले सप्ताह जो नियम दे चुका हूँ उनके पालनमें किसीको भी चूकना नहीं चाहिए । जो लड़का प्लेगसे गुजर गया था उसके मामा उसे देखने आये थे । वे डरसे भागकर प्रिटोरिया चले गये। नतीजा यह हुआ कि उनके ऊपर बहुत मुसीबत आई । उनको तथा उनके परिवारको टीके लगाये गये और वे थोड़े दिन सूतक (क्वारन्टीन) में भी रखे गये । यदि वे भागते नहीं और अधिकारियोंकी देख-रेखमें यहीं रहे होते तो उनको इतनी तकलीफ न उठानी पड़ती ।

यहाँपर मलायी बस्तीकी हालत कितनी ही बातोंमें बहुत बिगड़ गई है। लोग खचाखच भर गये हैं और कई तो सफाई रखनेकी बाततक नहीं सुनते। एक समिति नियुक्त की गई है जो हर रातको घरोंकी देखभालके लिए निकलती है। और अब ऐसा विचार किया गया है कि यदि लोग उसकी बात कान न धरें तो अधिकारियोंको सूचित कर दिया जाये । निःसन्देह ऐसा

  1. यह लेखमाला आगे जारी नहीं रखी गई ।
  2. यह " हमारे संवाददाता द्वारा प्रेषित " रूपमें छपा था ।
  3. देखिए, " जोहानिसबर्ग में प्लेग १६-१-१९०५ ।