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चीनी मजदूरोंके बारेमें श्री स्किनरकी रिपार्ट

देखेंगे कि वे अपने लिए व्यक्तिगत स्वतन्त्रता चाहेंगे और अनियन्त्रित रूपसे अपने दिमागका उपयोग भी करना चाहेंगे। वह दृश्य बड़ा मनोरंजक होगा, जब दो समान बुद्धिवाली जातियोंमेंसे एक जाति दूसरीकी बुद्धिके विकासको कुंठित करनेकी कोशिश करेगी। तफसीलें हम नीचे दे रहे है। पाठक खुद ही सोचें कि सर रिचर्ड सॉलोमनका बनाया कोई भी कानून श्री स्किनर द्वारा इतनी लापरवाहीसे बनाई गई कागजी नीतिको सफल करनेमें कहाँतक कामयाब हो सकता है।

एक खानके लिए नियोजित चीनी मजदूरोंके जत्थेकी बनावट इस प्रकार होगी:

(१) एक मुखिया, जो अहातेके प्रबन्धकके साथ काम करेगा और मजदूरों तथा प्रबन्धकर्ताओंके बीच दुभाषियेका काम भी करेगा।

(२) चार उपमुखिया, दो खानके अन्दर और दो ऊपर काम करनेके लिए, जो अंग्रेजी बोल सकते हों या इस काबिल हों कि बहुत थोड़े समयमें काम चलाऊ अंग्रेजी सीख सकें।

(३) हर तीस मजदूरोंके ऊपर देखभाल करनवाला एक जमादार होगा, जिस प्रकार काफिरोंके जत्थोंपर देखभाल करनेवाले होते हैं।

(४) पचास आदमियोंके हर समूहके लिए एक रसोइया होगा, और हर रसोइएको मददके लिए एक जवान कुली सहायक।

(५) एक चीनी डॉक्टर, जो स्थानीय खान डॉक्टरके मातहत एक मुखियाकी भाँति काम करेगा और अस्पताल उसके सुपुर्द रहेगा। बहुत-से चीनी, खास तौरपर शुरूशुरूमें, आग्रह करेंगे कि वे अपने देशके डॉक्टरसे भी इलाज करा सकें। इसके लिए कुछ चीनी दवाएँ भी संग्रहमें रखनी होंगी।

प्रत्येक खानपर कुशल गोरे और साधारण काफिर, अथवा कुशल गोरे और साधारण चीनी मजदूर होंगे। चीनी और काफिर मजदूरोंको एक साथ किसी खानपर मिलने नहीं दिया जायेगा। वैसे यदि सम्भव हो तो उनका जिलोंमें मिलना भी रोकना चाहिए। अधिक बड़ी संख्यामें चीनी कुलियोंको लानेसे पहले जो कुछ हजार चीनी मजदूर लाये जायेंगे उनके साथ ऐसे भी आदमी लाये जायेंगे जो चीनियोंसे वाकिफ हों, ताकि उनसे काम लेने में सहूलियत हो और जो खाने चीनियोंसे काम लेना चाहें उन्हें चीनियोंको समझनेमें मदद मिले, ताकि एकाएक उनके सामने कोई ऐसी नई परिस्थिति खड़ी न हो जाये, जिसका सामना करनेके लिए वे तैयार न हों।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-१०-१९०३