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३०१. कांग्रेस और लॉर्ड कर्जन[१]

इस बारके कांग्रेस अधिवेशनके अध्यक्ष सर हेनरी कॉटनने कांग्रेसके कुल प्रस्ताव माननीय वाइसरायको खुद जाकर देनेकी सूचना दी थी। परन्तु वाइसरायने सर हेनरी कॉटनसे कांग्रेसके अध्यक्ष के नाते मिलने और प्रस्तावोंको लेनेसे इनकार कर दिया । फिर भी उन्होंने यह दिखाने के लिए कि वे इस प्रकार सर हेनरी कॉटनका अपमान करना नहीं चाहते, व्यक्तिगत रूपमें मिलना स्वीकार कर लिया। मतलब यह हुआ कि कर्ज़न साहबने कांग्रेसका अपमान करनेमें रसी-भर भी आगा-पीछा नहीं किया | इंडिया अखबारसे यह भी मालूम पड़ता है कि इस प्रकार सर हेनरीसे न मिलनेका हेतु यह था कि यदि एक बार उनसे मिलेंगे तो बादमें अन्य अध्यक्षोंसे भी मिलना होगा । और, ऐसे ही कारणसे पहले भी लॉर्ड लैन्सडाउनने[२] इनकार किया था । तब फिर पिछली परिपाटीको कर्जन साहब किस प्रकार तोड़ सकते थे ? पुरानी परिपाटी आदिसे इस प्रकार चिपके रहनेसे करोड़ों मनुष्योंकी भावनाको ठेस पहुँचेगी यह प्रश्न हमारे वाइसराय साहबके मन में पैदा नहीं हुआ। फिर भी जिस प्रकार कांग्रेसने २० वर्ष निकाले हैं उसी प्रकार अब भी निकालेगी और दिनोंदिन बढ़ती जायेगी, इसमें शंका नहीं है ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-२-१९०५

३०२. केप टाउनमें नाइयोंके लिए नियम

केप टाउनकी नगरपालिकाने नाइयोंके लिए नियम बनाये हैं । वे गवर्नमेंट गज़टमें प्रकाशित किये गये हैं। उनके बलपर डॉक्टरको प्रत्येक नाईकी दुकान जाँचनेका अधिकार है । उनके अनुसार प्रत्येक नाईको अपनी दूकान स्वच्छ रखनी चाहिए। वह जिन कैंचियों, उस्तरों आदिको एक ग्राहकके लिए काममें ला चुके, उनको साफ किये बिना दूसरोंके लिए काममें न लाये । वह ब्रश आदिको ठीक तरह धोकर साफ रखे, प्रत्येक ग्राहकके लिए नये अंगौछे बरते और यदि उसने किसी रोगीके बाल काटे हों अथवा दाढ़ी बनाई हो तो उसके काममें लाये गये कुल सामानको कीटाणुनाशक पानीसे साफ करके काममें ले । जो नाई ऐसा न करे उसे पाँच पौंडतक जुर्मानेकी सजा है । इन नियमोंपर अमल ठीक-ठीक किया जा रहा है या नहीं इसका निरीक्षण करनेके लिए अधिकारियोंको छान-बीन करनेके हक दिये गये हैं। ये नियम हैं तो बहुत ठीक, परन्तु इनको अमल में लाना बहुत कठिन है। फिर भी इनके होनेसे नाइयोंपर कुछ दबाव पड़ना सम्भव है। ऐसे नियम हमने पहली ही बार केप टाउनकी नगरपालिकामें देखे हैं । हमें लगता है कि और जगहों में भी इनके लागू होनेकी सम्भावना है । इसलिए इनपर से हमारे नाइयोंको सचेत हो जाना चाहिए। हमारे नाइयोंकी दूकानोंमें सुधार होना निहायत जरूरी है । देखा गया है कि उनके औजार और अंगौछे स्वच्छ नहीं रहते। उन्हें स्वच्छ करनेमें केवल

  1. भारतके वाइसराय, १८९९-१९०५ ।
  2. भारतके वाइसराय और गवर्नर-जनरल १८८८- ९४ ।