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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/४३२

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३१३. एक राजनीतिक डाक्टरी रिपोर्ट

पाँचेफस्ट्रमके स्वास्थ्य अधिकारीने नगर परिषदके निर्देशसे उस शहरके भारतीय मुहल्लोंकी हालतपर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिन परिस्थितियों में वह तैयार की गई है वे जरा विलक्षण हैं। जैसा कि हमारे पाठकोंको मालूम है, पाँचेफस्ट्रमके लोग भारतीय मुसलमानोंके एक मसजिद बनाने के विचारसे बड़े बौखला उठे हैं। नगर परिषदकी बैठकमें, प्रतिकूल कानूनी सलाहके बाव-जूद, सदस्योंने मसजिद बनानेका विरोध करनेका निश्चय किया, और एक प्रस्ताव पास करके स्वास्थ्य अधिकारीको निर्देश भी दिया कि वह शहरके उस हिस्सेका निरीक्षण करे और तुरन्त परिषदको रिपोर्ट दे। लोग सोचेंगे कि मसजिद बनाने और आसपासके मकानोंकी स्वच्छता-विषयक स्थिति के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है।—मसजिद तो विशुद्ध रूपमें धार्मिक आराधनाकी इमारत है, जो कभी भी रहनेकी जगहके तौरपर काममें नहीं लाई जाती। तथापि, पॉचेफस्ट्रमकी नगर परिषदको तो, मेमने और भेड़ियेवाली कहानीके भेड़ियेके समान, कदम उठानेके लिए किसी आरोपकी जरूरत थी। स्वास्थ्य अधिकारी डॉ० फीएलने परिषदके वफादार नौकरके तौरपर, अवसरके अनुकूल तत्परता दिखाकार उसके इच्छानुसार एक रिपोर्ट दे दी है। वह रिपोर्ट एक विलक्षण वस्तु है। डॉक्टरने कहा है:


कुल मिलाकर अहाते काफी साफ हैं। मगर यदि कोई बीमारी फैल गई तो उन्हें छूत-रहित करना बहुत कठिन होगा; क्योंकि वे ज्यादातर सब आकार-प्रकारोंकी झोपड़ियोंके भोंड़े समुदाय-मात्र हैं।

कुदरतन सवाल उठता है कि, यह अधिकारी इस सारे समय क्या करता रहा? ट्रान्सवालमें प्लेगको आये अब एक बरस हो गया है और अबतक ये अहाते खतरेके उद्गम स्थान नहीं पाये गये थे। आज वे शहरके लिए अविलम्ब खतरेकी चीजें हो गये हैं और उनका इलाज तुरन्त होना चाहिए-प्लेगकी रोकथाम करनेके लिए नहीं, मसजिद बनाना रोकनेके लिए! अगर यह इतने खुले तौरपर बेईमानीकी बात न होती, तो, निस्सन्देह इसे भोंडापन तो माना ही जाता| डॉक्टरका कथन है कि हरएक अहाते में स्वच्छताकी सुविधाएँ मौजूद हैं। परन्तु, चूँकि इस प्रकारका वक्तव्य नगर परिषद के प्रयोजनके लिए बहुत हानिकारक है, इसलिए सचमुच उन्हें कहना ही चाहिए था कि ज्यादातर मामलोंमें स्नानका पानी सड़कोंपर फेंक दिया जाता है। उसने यह नहीं बताया कि पॉचेफस्ट्रमके कितने यूरोपीय लोग भी स्नानका पानी सड़कोंपर फेंक देते हैं; और जहाँतक हमारा खुदका सम्बन्ध है, हमें प्रबल शंका है कि जो भारतीय ऐसा करते हैं उनके लिए और कोई चारा ही नहीं है। इतनेपर भी डॉक्टर उपनियमोंके उल्लं-घनका मामला तैयार नहीं कर सका, इसलिए उसने कहा है:

भले ही प्रत्यक्ष रूपमें उपनियमोंका उल्लंघन न होता हो, फिर भी नियमोंमें वायु- क्षेत्रकी जो कमसे कम मर्यादा है उसके अनुसार ही मकान बनाये गये हैं, और कमरोंमें हवा और रोशनीका इन्तजाम बहुत खराब है।

हमें कौतूहल है कि क्या पॉचेफस्ट्रम नगरपालिकाके उपनियमोंमें रोशनी और हवाका खराब इन्तजाम बरदाश्त किया जाता है? अगर ऐसा है तो नगरपालिका उपनियमोंमें संशोधनकी माँग क्यों नहीं करती, ताकि वे स्वास्थ्य और स्वच्छताकी जरूरत पूरी करें? हम तो सचमुच