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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/४३३

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एक राजनीतिक डाक्टरी रिपोर्ट

यह जानते हैं कि पाँचेफस्ट्रम नगरपालिकाने सरकार द्वारा बनाये हुए स्वास्थ्य-सम्बन्धी उप-नियमोंको स्वीकार किया है और वे नियम सख्त और अत्यधिक व्यय-साध्य हैं। डॉक्टरने रिपोर्टके स्वास्थ्य-सम्बन्धी हिस्सेको यह कहकर समाप्त किया है कि, कुल मिलाकर उनका रहन-सहन आजकलके स्तरके अनुकूल नहीं है और शहरके बीचोंबीच बने हुए ये मकान और इनके निवासी लोक-स्वास्थ्यके लिए सतत खतरेके बायस हैं। रिपोर्ट में, जिसमें इतनी स्पष्टताके साथ परस्पर-विरोधी बातें कही गई हैं, हमें ऐसी कोई बात दिखलाई नहीं पड़ती, जिससे डॉक्टरका दिया हुआ मत जरूरी हो। और, मानो, डॉक्टरकी दी हुई स्वास्थ्य सम्बन्धी रिपोर्ट काफी नहीं थी, इसलिए वह आगे बढ़कर कानूनी सलाह देता है और सुझाता है कि सरकारसे कहना चाहिए कि सब एशियाइयों और बाकायदा परवाना प्राप्त व्यापारियोंके अलावा दूसरे लोगोंको बाजारों में रहनेके लिए बाध्य किया जाये। यद्यपि हमारे मतसे यह रिपोर्ट अपने-आपमें ही निन्दित है, जिन मकानोंपर डॉ० फीएलने अपना निर्णय दिया है उनपर एक निष्पक्ष सम्मति दे देना कदाचित् उपयोगी होगा। सद्भाग्यसे हमारे पास जिला-सर्जन डॉ० टॉमस जे० डिक्सनकी रिपोर्ट मौजूद है, जो उन्होंने पाँचेफस्ट्रमके भारतीयोंके अनुरोधसे तैयार की है। वे कहते हैं:

मुझे यह कहते खुशी होती है कि विभिन्न अहातोंको देखनेपर, मेरे मनपर हर जगहका बहुत अच्छा असर पड़ा। मैंने अन्दरसे और बाहरसे भी देखा है। कुल बातोंका खयाल करते हुए, पीछेके आँगन बिलकुल साफ और स्वास्थ्यकर हैं। मैंने कूड़े के ढेर लगे नहीं देखे। मुझे मालूम हुआ कि सारा कूड़ा रोजाना ठेकेदार ले जाया करता है। शहरके दूसरे हिस्सोंके समान यहाँ बालटी-पद्धति काममें लायी जाती है। इसकी भी कमाईका प्रबन्ध है, जो सफाई विभाग द्वारा किया जाता है। मैंने जो कुछ देखा उसमें मैं कोई दोष नहीं बता सकता। जहाँतक सोनेके स्थानकी बात है, मुझे कोई दोष दिख-लाई नहीं पड़ता। प्रत्येक व्यापार-स्थानके पीछे, उससे अलग, मैंने एक प्रकारका भोजन- गृह-सा देखा, जिसमें ५ से ८ आदमियों तकके बैठनेका स्थान है और हरएकमें उसका रसोईघर है। ये सब भी साफ-सुथरे रखे जाते हैं।

डॉक्टर जाँचे हुए प्रत्येक घरकी विस्तृत रिपोर्ट हमारे सामने मौजूद है। यह एक निष्पक्ष डाक्टरी रिपोर्ट है, जो एक ऐसे सज्जनकी दी हुई है, जिसे किसी मालिकको खुश नहीं करना है। उसने देखा है कि भारतीय मकान सफाईकी दृष्टिसे आपत्ति करने योग्य नहीं हैं।

हम देखते हैं कि डॉ० फीएलकी रिपोर्ट नगर परिषदने सरकारके पास भेज दी और हम राह देख रहे हैं कि सरकार उसपर क्या कहती है। वह रिपोर्ट प्रत्यक्षतः एक ऐसे व्यक्तिके उद्गार हैं, जिसका रुझान उसकी अन्तरात्माके प्रतिकूल है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-३-१९०५