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केपके वकील


स्पष्ट है कि सरकार जरूरत पड़नेपर किसी कानूनको कार्यान्वित करानेके लिए किसी भाषाको यूरोपीय बना सकती है और दूसरे कानूनको कार्यान्वित कराने के लिए उसे गैर-यूरोपीय भी ठहरा सकती है।

उपर्युक्त लेख लिखने के बाद महान्यायवादीके साथ मुलाकात की पूरी रिपोर्ट प्राप्त हुई। उससे मालूम होता है कि किसी यूरोपीय भाषाके ज्ञानसे सम्बन्ध रखनेवाली आपत्तिजनक उपधारा वापसे ले ली जायेगी।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १८-३-१९०५

३२१. केपके वकील

केपका विधिवत् स्थापित वकील-मण्डल (इनकारपोरेटेड लॉ सोसाइटी) एक विधेयक पास कराना चाहता है, जिसके द्वारा उसका इरादा केप-स्थित सर्वोच्च न्यायालयके वकील-मण्डल और अन्य छोटी अदालतोंके वकील मण्डलोंमें रंगदार वकीलोंको प्रवेश पानेसे रोकनेका है। ब्रिटिश साम्राज्यके किसी भी देशमें ऐसे कानूनका उपक्रम किया गया हो, यह हम नहीं जानते। अबतक केपको दक्षिण आफ्रिकी उपनिवेशोंमें सबसे उदार और रंग-भेदसे सर्वाधिक मुक्त होनेकी प्रतिष्ठा प्राप्त रही है। जिस उपनिवेशकी परम्पराएँ ऐसी रही हों, उसमें ऐसे लोगोंके एक समुदायका होना, जिन्हें समाजमें सबसे बुद्धिशाली माना जाता है, और जो खराबसे खराब किस्मके वर्ग-भेद कानूनको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, एक उल्लेखनीय बात है; क्योंकि इस प्रकारकी कार्रवाई का कोई औचित्य दिखलाई नहीं पड़ता। हम प्रस्तावित विधेयकको लन्दनके इन्स ऑफ कोर्ट्स और इनकारपोरेटेड लॉ सोसाइटीकी भी नजरोंमें लाना चाहते हैं। हम जानना चाहेंगे कि इस नितान्त गैरमामूली प्रस्तावके बारेमें उनका कहना क्या है। अबतक यह माना जाता रहा है कि किसी एक इन्स ऑफ कोर्टकी परीक्षा पास करके निकले हुए बैरिस्टर के लिए सारा ब्रिटिश साम्राज्य बैरिस्टरी करनेके लिए खुला है। क्या अब यूनियन जैक फहरानेवाला केप उपनिवेश इन्सके बनाये हुए नियमोंको किनारे रख देगा और अगर किन्हीं बैरिस्टरोंकी चमड़ी काली हो तो उन्हें बैरिस्टरी न करने देगा?

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १८-३-१९०५