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३२२. पत्र : दादाभाई नौरोजीको[१]
ब्रिटिश भारतीय संघ

२५ व २६ कोर्ट चेम्बर्स
रिसिक स्ट्रीट
जोहानिसबर्ग
२० मार्च, १९०५

श्री दादाभाई नौरोजी
२२, केनिंगटन रोड
लंदन
इंग्लैंड
प्रियवर,

भारतीयों के प्रति सारे दक्षिण आफ्रिकामें प्रतिगामी नीति वरती जा रही है। मैं आपका ध्यान इंडियन ओपिनियनके हालके अंकोंकी ओर खींचना चाहता हूँ। उनमें आप पायेंगे कि केपमें एक सामान्य विक्रेता-परवाना विधेयक (जनरल डीलर्स लाइसेंसेज बिल) लागू करनेकी कोशिश की जा रही है। इस विधेयकसे केपमें बसे हुए ब्रिटिश भारतीयोंको जबरदस्त नुकसान होनेकी संभावना है। इसी प्रकार नेटाल गवर्नमेंट गजटमें एक शस्त्र विधेयक छपा है, जिससे गैरजरूरी तौरपर ब्रिटिश भारतीयोंकी तौहीन होती है। फाइहीड नामके जिलेमें जो अभी-अभी नेटालमें शामिल किया गया है, ट्रान्सवाल जैसा एशियाई विरोधी कानून लगाया गया है और वहाँ के नगर निगम विधेयकमें भी अनेक धाराएँ बहुत ही आपत्तिजनक हैं। ऑरेंज विर कालोनी में उपनियम बनाकर भारतीयोंपर एकके बाद एक निर्योग्यताएँ लादी जा रही हैं और मैं आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि इंग्लैंडकी लोकसभा (हाउस ऑफ कामन्स) में ट्रान्सवाल कानून और नेटाल कानूनके सम्बन्धमें तो बहुत-कुछ किया गया है; किन्तु कभी ऑरेंज रिवर कालोनीके बारेमें वहाँ एक प्रश्न भी नहीं पूछा गया, ऐसा मेरा खयाल है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि यह सवाल भी उठाया जायेगा। इंडियन ओपिनियनका ताजा अंक कई बातोंके साथ-साथ नेटाल नगर-निगम विधेयकपर भी प्रकाश डालता है। पत्र में उल्लिखित अन्य तथ्योंपर अगले अंकमें ब्यौरेवार लिखा जायेगा।

आपका विश्वासपात्र,
मो॰ क॰ गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (जी॰ एन॰ २२६७) से।
  1. दादाभाई नौराजीने इस पत्रकी प्रति भारत-मन्त्री और उपनिवेश सचिवको भेजी थी। यह पत्र १४-४-१९०५ को इंडियामें भी छपा था।