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३२६. स्फूर्ति प्राप्त करनेका उत्तम साधन—निद्रा

यदि कोई मनुष्य थक गया हो और अपना काम करते रहने में समर्थ न हो तो इसका उपाय यह है कि वह सो जाये। और सम्भव हो तो एक सप्ताहतक भी सोता रहे। खोई हुई शक्तिको—विशेषत: मस्तिष्ककी शक्तिको—पुनः प्राप्त करनेके लिए यह सबसे अच्छा साधन है; क्योंकि नींदमें मस्तिष्क पूर्ण विश्रामका अनुभव करता है और श्रम करनेसे मस्तिष्कके जो अणु खर्च हुए हों वे इस अवस्थामें रक्तसे वापस मिल सकते हैं। जिस प्रकार एक शानदार स्टीमरके चक्रका एक-एक घुमाव उसके बॉइलरकी भट्टीमें सुलगते इंधनका परिणाम है, उसी प्रकार मस्तिष्क में उत्पन्न प्रत्येक विचार उसके अन्दरके अणुओंके व्ययका परिणाम है। मस्तिष्ककी खर्च हो जानेवाली वस्तु केवल रक्तके पौष्टिक पदार्थमें से मिल सकती है। और रक्त, हमने जो अन्न खाया है, उससे बनता है। मस्तिष्ककी रचना ही इस प्रकारकी है कि वह खोये हुए अणुओंको विश्राम अथवा नींदकी शान्त स्थिरताके द्वारा ही पुनः प्राप्त कर सकता है। नशीली वस्तु मस्तिष्कको कुछ भी पोषण नहीं पहुँचा सकती। वह केवल मस्तिष्कको अपने अणुओंका अधिक खर्च करनेके लिए बाध्य करती है। परिणामस्वरूप अन्तमें थककर—जिस प्रकार भूख-प्यासके मारे मृत्युके सन्निकट पहुँचे हुए व्यक्तिके सम्मुख उत्तम प्रकारका खाद्य अथवा पेय घर देनेपर भी वह गलेके नीचे नहीं उतर पाता उसी प्रकार—मस्तिष्क अपने लिए आवश्यक आहार प्राप्त करने में सर्वथा असमर्थ हो जाता है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २५-३-१९०५

३२७. पत्र : दादाभाई नौरोजीको

२१-२४ कोर्ट चेम्बर्स
नुक्कड़, रिसिक व ऐंडर्सन स्ट्रीटस
पो॰ ऑ॰ बॉक्स ६५२२
जोहानिसबर्ग
मार्च २५, १९०५

माननीय दादाभाई नौरोजी
२२, केनिंगटन रोड
लंदन, एस॰ ई॰
प्रिय श्री दादाभाई,

साउथ आफ्रिकन बुलेटिनके बारेमें आपके २० जनवरीके पत्रका उत्तर इससे पहले नहीं दे सका। फिलहाल उस पत्रको पैसेकी कोई मदद कर सकना बहुत मुश्किल है; क्योंकि यहाँ स्थानिक लड़ाई चलाने में लगभग सब चुक गया है। फिर भी यदि आप पत्रको मददके योग्य मानते हैं तो, मुझे लगता है, १० पौं॰ उसको दे सकना संभव हो जायेगा।

आपका विश्वासपात्र,
मो॰ क॰ गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (जी॰ एन॰ २२६८) से।