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३३०. तुच्छ शंका

पाँचेफस्ट्रम पहरेदार संघ (पॉचेफस्ट्रम, विजिलेंस असोसिएशन) के मुखपत्रने इन स्तम्भोंमें प्रकाशित एक हालके लेखका हवाला देकर हमें इज्जत बख़्शी है। लेख उन तथाकथित गन्दी अवस्थाओंके बारेमें था जिनमें मार्केट स्क्वेयरमें[१] भारतीय रहते बताये जाते हैं। परन्तु, साथ ही, पत्रने डॉक्टर डिक्सनकी रिपोर्टकी वैधतापर शंका भी की है। वह रिपोर्ट हमने यह बताते हुए प्रकाशित की थी कि पॉचेफस्ट्रमके भारतीय समाजपर गन्दगीका वैसा कोई आरोप न्यायपूर्वक नहीं लगाया जा सकता। हम बिलकुल नहीं जानते कि हमारा सहयोगी तथ्योंका इस तरह बार-बार मजाक क्यों उड़ाता है, प्रतिष्ठित वक्तव्योंका गलत अर्थ क्यों लगाता है या उनकी उपेक्षा क्यों करता है। ऐसा मालूम होता है कि, अगर राजा कोई गलत काम नहीं कर सकता, तो भारतीय कोई सही काम नहीं कर सकता। जिनपर विपरीत मत हावी हो गया हो उन्हें समझाने के लिए कोई कितना भी प्रमाण पेश करे, सब व्यर्थ होगा। हमें तो ऐसी नुक्ताचीनी करनेवाली टीका-टिप्पणियोंका उत्तर देना मरे घोड़ेको चाबुक लगाने जैसा मालूम होता है। हमारे ऐसा करनेका कारण केवल एक यह है कि पूर्वग्रहोंसे रहित पाठकोंको विचार करनेकी सामग्री मिले और हम जिस विषयकी पैरवी कर रहे हैं उसके औचित्य और अनौचित्यका वे ज्यादा न्यायपूर्वक निर्णय कर सकें। डॉ॰ डिक्सनने भारतीय समाजके अनुरोधपर गत अक्टूबर मासके आरम्भ में, जब कि भारतीय-विरोधी भावनाएँ अपनी उचित सीमाओंको भंग करने लगी थीं, यह जाँच की थी। उन्हें अधिकार दिया गया था कि वे अपने ही समय में अपनी सुविधाके अनुसार और जैसा भी तरीका ठीक समझें उस तरीकेसे यह जाँच करें। इसलिए सम्बद्ध भारतीयोंकी ओरसे उनके कार्यपर कोई सम्भव नियन्त्रण नहीं था। और न भारतीयोंको उनके आनेके बारेमें कोई सूचना ही दी जाती थी। इसके अलावा, जिला-सर्जन (डॉ॰ डिक्सन) ने इस तरहकी जाँच भी की, जैसा कि उनकी रिपोर्टसे स्पष्ट है, जिससे कि रातको बहुत भीड़ होनेका आरोप झूठा सिद्ध हो जाता है। परन्तु, मालूम होता है कि बजटसे हमारे वाद-विवादका पूरा मुद्दा ही चूक गया है। हमने दावा किया था कि डॉ॰ फीएलकी रिपोर्टकी तहमें स्पष्ट राजनीतिक प्रयोजन है। उसके बावजूद वे सिद्ध नहीं कर सके कि भारतीयोंने नगरपालिकाके नियमोंको भंग किया है। उन्होंने कहा कि वे ऐसे ढंगसे रहते हैं, जो मेरे अपने मानदण्डपर सन्तोषजनक नहीं उतरता। वह मानदण्ड क्या है, डॉक्टर फीएलके अलावा कोई नहीं जानता। और अबतक बजटने हमारी बातोंका उत्तर नहीं दिया है। इसी बीच, हमें मालूम हुआ है कि सरकारने काफी स्पष्टतासे संकेत कर दिया है कि नगरपालिका जो कुछ करना चाहेगी वह अवैध होगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १-४-१९०५
 
  1. देखिए "एक राजनीतिक डाक्टरी रिपोर्ट", ११-३-१९०५।