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३३६. ट्रान्सवालके भारतीयोंके बारेमें महत्त्वपूर्ण फैसला

सभी यह जानते हैं कि ट्रान्सवालमें अनेक भारतीय अपने नामसे जमीन नहीं रख सकते, इसलिए गोरोंके नामपर रखते हैं। श्री सैयद इस्माइल नामके एक व्यक्ति जोहानिसबर्ग के निवासी हैं। उनके नामपर कुछ जमीन थी जो उन्होंने ल्यूकस नामक अपने गोरे मित्र और जमीन मालिकके नाम कर रखी थी। यह जमीन जोहानिसबर्ग के नगर-निगमने जब बस्ती (लोकेशन) आदि ली तब ले ली और हरजाने के रूपमें २,००० पौंड ल्यूकसके नामपर देनेका प्रस्ताव हुआ। ल्यूकस लड़ाईके समयमें गुजर गया। उसकी जायदाद दिवालियापनमें गई। चूँकि उसके लेनदारोंको पूरा चुकाया जा सके, इतना पैसा ल्यूकसकी मिलकियतमें नहीं था, इस कारण उसके न्यासियों (ट्रस्टियों) ने ल्यूकसके नामपर दर्ज सैयद इस्माइलकी जमीनके पैसोंपर हक जमाया। इसपर सैयद इस्माइलने उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया कि उक्त २,००० पौंड उसे मिलने चाहिए। इसमें ल्यूकसके लेनदारोंने दो सवाल उठाये। अर्थात्, सैयद इस्माइल जो पैसे माँगते हैं वे पैसे ल्यूकसके नामपर हैं और जिस जमीनपर सैयद इस्माइल हक बताते हैं, उस जमीनपर, अचल सम्पत्ति होनेके कारण, सैयद इस्माइलको मालिकीका हक नहीं है। सैयद इस्माइलकी ओरसे यह सफाई दी गई कि वह जमीन निन्यानवे वर्ष के पट्टेपर होनेके कारण अचल सम्पत्ति नहीं कही जा सकती, इसलिए भारतीयोंके उसकी मालिकी भोगनेपर रोक नहीं होनी चाहिए। और यदि यह सफाई उचित न मानी जाये तो जिस कानूनसे भारतीयोंको अचल सम्पत्तिपर स्वामित्व नहीं दिया जाता वह कानून ऐसा नहीं कहता कि गोरे तथा दूसरे लोग भारतीयोंकी तरफ से अचल[१] सम्पत्ति अपने नामपर नहीं रख सकते। माननीय जजने फैसला सैयद इस्माइलके पक्षमें देते हुए बताया कि निन्यानवे वर्षके पट्टेपर होनेके कारण उसे अचल सम्पत्ति नहीं कहना चाहिए। इसलिए ऐसी जमीन भारतीयोंके नामपर नहीं चढ़ सकती। किन्तु सैयद इस्माइलकी दूसरी सफाई मंजूर करते हुए कहा कि भारतीयोंके लाभके लिए गोरे जमीन रख सकते हैं; और यदि गोरे धोखा देना चाहें तो ऐसी हालत में भारतीय मालिकके हकके रक्षणका कर्त्तव्य कानून सँभालेगा। यह निर्णय बड़ा सन्तोषप्रद है; और यदि गोरेके नाम भारतीय लोग जमीन लेनेमें डरते हों तो उन्हें अब डरनेकी जरूरत नहीं है। फिर भी यह याद रखना चाहिए कि गोरा विश्वासपात्र व्यक्ति होना चाहिए और उससे साफ-साफ दस्तावेज लेने चाहिए। इस निर्णयसे हमको सरकारसे स्वत्वोंके विषयमें मोर्चा लेते हुए बल मिलेगा, ऐसा निश्चित दीखता है। हमें खबर मिली है कि उच्च न्यायालयके निर्णयके विरुद्ध ल्यूकसकी मिलकियतके न्यासीने अपील दायर की है। देखें, इसका क्या परिणाम होता है!

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ८-४-१९०५
  1. यहाँ मूलमें भूल हो गई है "अचल" के बजाय "चल" शब्द चाहिए।