आर्यधर्मका प्रसार हुआ। हिन्दुओंकी संख्या २० करोड़से ऊपर है। उनका नाम हिन्दू इसलिए पड़ा कि वे सिन्धु नदीके पार बसते थे। उनकी प्राचीनतम पवित्र पुस्तकें वेद हैं। बहुत-से श्रद्धालु हिन्दू ऐसा मानते हैं कि वेद ईश्वरकृत और अनादि हैं। पश्चिमके विद्वानोंकी मान्यता है कि ईसासे २,००० वर्ष पहले वेद रचे गये। पूनाके प्रख्यात विद्वान श्री तिलकने बताया है कि वेद कमसे कम १०,००० वर्ष पुराने हैं।[१] हिन्दुओंकी प्रधान विशेषता है उनका सर्वव्यापक ब्रह्ममें विश्वास। पृथ्वीपर प्रत्येक व्यक्तिका लक्ष्य होना चाहिए मोक्ष प्राप्त करना, और मोक्षका अर्थ है जन्म-मरणके भयसे छूटना और ब्रह्म में लीन हो जाना। उनकी नीतिमें मृदुता और समदृष्टि मुख्य गुण हैं और उनके लौकिक व्यवहारमें जाति-भेद सर्वोपरि है।
हिन्दू धर्मकी पहली कसौटी जब बुद्धदेवने जन्म लिया तब हुई। बुद्धदेव स्वयं एक [राजा] के[२] पुत्र थे। उनका जन्म ईसासे ६०० वर्ष पहले हुआ बताया जाता है। उस समय हिन्दू ऊपरके दिखावेपर मोहित हो रहे थे और ब्राह्मण स्वार्थ के कारण हिन्दू धर्मकी रक्षाका अपना कर्त्तव्य भूल गये थे। जब यह सब बुद्धकी दृष्टिमें पड़ा तब उन्हें अपने धर्मकी यह दशा देखकर दया आई। उन्होंने संसार छोड़कर तपस्याको अपनाया। कितने ही वर्ष ईश्वर भक्तिमें लीन रहकर व्यतीत किये। अन्तमें उन्होंने हिन्दू धर्ममें सुधार सूचित किये। उनकी पवित्रताका ब्राह्मणोंपर असर हुआ और बहुत हदतक यज्ञके लिए प्राणियोंका वध बन्द हो गया। इस तरह बुद्धदेवने नया धर्म स्थापित किया, ऐसा नहीं कहा जा सकता। पर उनके बाद जो लोग आये उन्होंने उसे एक अलग धर्मका रूप दिया। महान् सम्राट अशोकने बौद्ध धर्मके प्रचारके लिए भिन्न-भिन्न देशों में लोग भेजे; और लंका, चीन, ब्रह्मदेश आदि मुल्कोंमें बौद्ध धर्मको फैलाया। इस समय हिन्दू धर्मकी यह खूबी प्रकट हुई कि किसीको जबरदस्ती बौद्ध नहीं बनाया गया। केवल वादविवाद द्वारा तर्क करके और प्रधान रूपसे अपने शुद्ध चालचलनसे प्रचारकोंने लोगोंके मनपर छाप डाली थी। ऐसा कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म भारतमें तो एक ही थे और आज भी दोनोंके मूल तत्त्व एक ही हैं।
मुहम्मद पैगम्बरका जन्म
आपने देखा कि हिन्दू धर्मपर बौद्ध धर्मका असर अच्छा हुआ और उससे हिन्दू धर्मके रक्षक जागृत हुए। आजसे १,००० वर्ष पहले हिन्दू धर्म एक दूसरे सम्पर्क में आया जो ज्यादा जोरदार था। हजरत मुहम्मद अबसे १,३०० वर्ष पहले जन्मे। उन्होंने अरबस्तानमें बहुत अनाचार देखा। यहूदी धर्म तब गोते खा रहा था। ईसाई धर्म वहाँ पाँव नहीं धर पाता था और लोग विषयी और स्वच्छन्द हो गये थे। यह सब मुहम्मदको ठीक नहीं लगा। उनका मन सुलगने लगा और उन्होंने ईश्वरका नाम लेकर अपने देशवासियोंको होशमें लाने का निश्चय किया। उनकी लगन इतनी तीव्र थी कि आस-पासके लोगोंपर उनके हार्दिक जोशकी छाप तुरन्त पड़ी और बड़ी तेजीसे इस्लामका प्रचार हुआ। जोश इस्लामकी जबरदस्त खूबी है। इससे कई अच्छे काम हुए और कई बार बहुत बुरे काम भी हुए। १,००० वर्ष पूर्व इस्लाम फैलाने के लिए भारतपर गजनीकी सेना चढ़ आई। हिन्दू मूर्तियों का खण्डन शुरू हुआ और सोमनाथतक हमलावर गये। इस तरह एक तरफसे जबरदस्ती हो चली और दूसरी तरफसे इस्लामी फकीर उसकी वास्तविक खूबी बताने लगे। जो इस्लाममें आते हैं वे सब बराबर हैं, इस बातका असर हलके वर्णके लोगोंपर बहुत अच्छा पड़ा और लाखों हिन्दुओंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। इससे हिन्दुओंमें बड़ी खलबली मची।