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पत्र: छगनलाल गांधीको

हमें कमसे कम छः महीनोंकी मुहलत मिलनी चाहिए। श्री नाज़र तुम्हें गुजराती दें चाहे न दें, चिता नहीं करना। क्या तुम निश्चित रूपसे मईके शुरू में आ सकते हो? यदि अपनी तारीख पहलेसे तय करो तो मैं तुम्हारे लिए अनुमतिपत्रका प्रबंध कर सकता हूँ। यदि अप्पू चाहता है कि उसे दो प्रतियाँ भेजी जायें तो बेशक केवल एकका पैसा लगाकर ऐसा कर सकते हो। और बंबई में श्री रुस्तमजीको नियमसे तीन प्रतियाँ भेजते रहना है। क्या लंदन और भारतकी भेंट-सूची छोटी नहीं की जा सकती? विदेशों में यानी ब्रिटिश दक्षिण आफ्रिकाके बाहर भेंटमें कुल कितनी प्रतियाँ जाती हैं? मैं बड़े परिश्रमसे तमिल सीख रहा हूँ और यदि सब ठीक रहा तो मैं अधिकसे- अधिक दो महीनोंमें तमिल लेख काफी समझने लगूँगा। मैं तमिल पुस्तकें पानेके लिए जरा आतुर हो उठा हूँ। अगर आसानीसे न मिलें तो उनके लिए कोशिश करो। मेरा खयाल है, तुम मेरी जरूरत समझ गये हो। तुम श्री मूडलेके घर जा सकते हो। मैंने उन्हें लिख दिया है।

तुम्हारा शुभचिन्तक,
मो॰ क॰ गांधी

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ४२३२) से।

३४३. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग
अप्रैल १९, १९०५

श्री छगनलाल खुशालचन्द गांधी
मार्फत इन्टरनेशनल प्रिंटिंग प्रेस
फीनिक्स

चि॰ छगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। हिन्दी और तमिलके बारेमें, मुझे आशा है, तुम किचिनसे बातें कर लोगे। निःसन्देह खुद मुझे दोनों भाषाओंको छोड़ देनेका बड़ा दुःख होगा। मैर्नारिंगके बारेमें मैं तुमसे बिलकुल सहमत हूँ। श्री वेस्टसे इसपर चर्चा कर लेना। मैनरिंगके कबतक जाने की संभावना है? उम्मीद करता हूँ कि शाह कल शामको रवाना हो रहा है, उसके साथ तुम्हें केक भिजवा सकूँगा। तमिल पुस्तकें मिल गई हैं। वे उपयोगी होंगी। वैसे मुझे पोपके बड़े व्याकरणकी जरूरत थी। मैंने मदनजीतको अपनी जो किताब दे दी सो तुमने देखी है। तुमसे केक ठीक नहीं बनती तो भट्टी ठीक नहीं होगी। या तुम काफी मोन नहीं डालते। आटेको पानीमें कोई तीन घंटे फूलने देना चाहिए। जब केक बनाने लगो तब पहले घीका मोन दो और उसे आटेमें एक-जी कर दो। तब पानी डालो और खूब अच्छी तरह उसे गूंधों।

तुम्हारा शुभचिन्तक,
मो॰ क॰ गांधी

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ४२३३) से।