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३४८. डर्बनमें जाड़ा-बुखार या मलेरिया

मलेरिया डर्बन में बड़े जोरसे चल रहा है। पिछली जनवरी में मलेरियाके केवल १२ रोगी थे, और अभी जो मार्च महीना बीता उसमें इसके ६१२ रोगी हुए। इतनी बड़ी तादाद खौफनाक है। इसमें मौतें ज्यादा नहीं होतीं यह तसल्लीकी बात है। फिर डॉक्टर म्यूरिसनने बताया है कि यह बीमारी ज्यादातर औरतों, बच्चों और उनको हुई है, जो घरमें अधिक रहते हैं। इसका कारण यह बताते हैं कि जूलूलैंडसे मच्छरों द्वारा मलेरिया आया है। मलेरियाको रोकनेके लिए डॉ॰ म्यूरिसन नीचे लिखे उपाय बताते हैं :

१. बहुत बारीक छेदवाले पर्दे [मच्छरदानी] अपनी खाट पर हरएकको लगाने चाहिए। खाटके ऊपर कुछ मच्छर हों तो उन्हें दूर करके चारों ओरसे गद्दोंके किनारोंको पर्दों पर दबा देना चाहिए। पर्दा फटा हुआ हो तो जबतक उसे सुधार न लिया जाये तबतक वह निकम्मा समझा जाये।

२. जबतक सम्भव हो मलेरिया रोकने के लिए कुनैन न ली जाये। किन्तु यदि मलेरिया वाले घरमें रहना पड़ रहा हो या पदके बिना सोनेकी मजबूरी हो तो रोज सवेरे नाश्ते से पहले पाँच जौ-भर कुनैन ली जाये।

३. घरमें या आसपास पानी बिलकुल जमा न होने दिया जाये। नाली आदिको जाँच कर गड्ढे बन्द कर दिये जायें।

४. जहाँ पानीके बड़े गड्ढे हों वहाँ, वे जबतक बन्द न हो जायें, उनमें मिट्टीका तेल डाला जाये।

५. यदि घरके आसपास अपनी हृदमें पानी जमा रहता हो अथवा झाड़-झंखाड़ उग निकलते हों तो अधिकारियोंको इस सम्बन्ध में सूचित करना चाहिए।

इस प्रकार प्रत्येक व्यक्तिको सावधानी रखने की आवश्यकता है। सार यह है कि घर और आँगन साफ रखना, मच्छर न होने देना, शरीर स्वच्छ रखना और आहार हलका लेना चाहिए।

मलेरिया के रोगियोंकी संख्या गोरोंमें काले आदमियोंसे ज्यादा है। ६१२ रोगियोंमें ४०० गोरे, १८५ एशियाई, और २७ काफिर थे। इससे पता चलता है कि कुछ रोग कुछ कौमोंको अधिक पकड़ते हैं, कुछ को कम। प्लेग के शिकार भारतीय लोग अधिक होते हैं। यो देखें तो "कठौती कुंडीकी क्या हँसी करे" की-सी बात तय होती है। फिर भी मलेरिया भयावह रोग नहीं है। लेकिन प्लेग जबरदस्त और मारक रोग है। जाँच करने पर दोनोंके कारणोंका पता लग सकता है। इसलिए पूरी सावधानी बरतना हमारा कर्त्तव्य है और उसमें हमें चूकना नहीं चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-४-१९०५