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३५१. जोहानिसबर्ग में मलायी बस्ती

जोहानिसबर्गकी सरकारने फ्रीडडॉपैकी कुछ जमीन लेनेके विचारसे कानून बनाने के लिए आयोग नियुक्त किया है। फ्रीडडॉर्पमें मलायी बस्ती आ जाती है या नहीं यह अभी निश्चित नहीं हुआ है; लेकिन सम्भव है कि उसका कुछ अंश उसमें आ जायेगा। आयोग इस तरह विचार करेगा :

  1. किस रीति से रहनेवालोंके पाससे जमीन ली जाये।
  2. यदि जमीन ली जाये तो उन लोगोंको हरजाना किस तरह दिया जाये।
  3. इस सम्बन्धमें प्रमाण प्राप्त करना।

आयोगके मुखिया जोहानिसबर्गके मुख्य मजिस्ट्रेट श्री बडब नामजद हुए हैं। आयोग कब बैठेगा, यह अभी निश्चित नहीं हुआ है। लेकिन निश्चित हो जानेपर जो लोग मलायी बस्ती में रहनेवाले हैं, उन्हें सावधानी रखनी होगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-४-१९०५

३५२. ज्यूजित्सु

यूरोपकी प्रजाकी आँख धीरे-धीरे खुलती जा रही है। कवि नर्मदाशंकरने गाया है कि :

राज करे अंग्रेज देश रहता है दबकर,
दबे न क्योंकर देश, देहका देखो अन्तर,
वह पेंचहत्था ज्वान, पाँच सौ को भी पूरे।

कविने इसमें यह बताया है कि अंग्रेजोंके शरीरकी काठी विशाल है, यह उनकी बढ़तीका एक मुख्य कारण है। जापानियोंने दिखा दिया है कि दारोमदार शरीरके कदपर कोई खास नहीं है। रूसी लोग बहुत बड़े कदवाले हैं फिर भी बौने और पतले जापानियोंके सामने उनकी कुछ चल नहीं पाती। इसपर अंग्रेज अमलदार विचारमें पड़ गये और उन्होंने यह तय पाया कि व्यायाम और शरीरके नियमोंके सम्बन्ध में यूरोप बहुत पिछड़ा हुआ है। शरीरके भिन्न-भिन्न जोड़ और हड्डियों पर कब क्या असर पड़ता है यह जापानी लोग बड़ी अच्छी तरह समझ सकते हैं, और इसलिए वे लोग अजेय बन गये हैं। व्यायाम करते समय गर्दनकी और पैरोंकी किस नस पर दबाव पड़ने से क्या असर होता है, यह तो हमारे बहुत-से पाठकोंको ज्ञात होगा। जापानियोंने उसी बातका सम्पूर्ण शास्त्र बनाया है। अंग्रेजोंकी फौजको यह शास्त्र सिखानेके लिए एक जापानी शिक्षक रखा गया है, और हजारोंको यह युक्ति सिखा दी गई है। इस शास्त्रका जापानी नाम ज्यूजित्सु है। फिर भी यह सवाल बना रहता है कि जब सभी प्रजा ज्यूजित्सु सीख लेगी तब फिर कुछ नई खोज करनी होगी; और इस प्रकार चरखी चलती ही रहेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-४-१९०५