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३५३. बारबर्टन कृषि-परिषदका सुझाव

बारबर्टनके इर्दगिर्द की जमीनमें तम्बाकू बोनेपर फसल ठीक होगी या नहीं इसका निर्णय करने के लिए वहाँकी कृषि-परिषदने कैप्टन मेजको नियुक्त किया था। कैप्टन मेजका कहना है कि तम्बाकूकी फसल बड़ी अच्छी हो सकती है। इस परसे परिषदकी समितिने यह सिफारिश की है। कि तम्बाकू बोनेके काम में सहायता करनेके लिए भारतीय लोग चाहिए और जिस प्रकार नेटालमें भारतीय आ रहे हैं उसी प्रकार बारबर्टनकी तरफके हिस्सेमें भारतीयोंको आने दिया जाये। इस प्रकार आजसे ही गोरे लोगोंको भारतीय मजदूरकी जरूरत महसूस हो रही है। काफिर कामके नहीं हैं। चीनी जितने मिल सकते हैं, खानोंमें खप जाते हैं। इसलिए काम करनेके लिए आम तौरसे भारतीय चाहिए।

लॉर्ड कर्ज़नने अपने भाषणमें[१] कहा है कि जबतक दक्षिण आफ्रिकाके राज्य भारतीयोंको पर्याप्त अधिकार नहीं देते तबतक उन्हें सहायता नहीं दी जायेगी। इसलिए यदि ट्रान्सवालकी सरकारको भारतीयोंकी सचमुच आवश्यकता होगी तो लॉर्ड कर्ज़नको अमूल्य अवसर मिलेगा और भारतीयोंके अधिकार दिलवाने में वे स्वयं काफी दबाव डाल सकेंगे। जबतक ट्रान्सवालमें खेती आरम्भ नहीं की जाती तबतक इस प्रदेशका ठीक तरहसे आवाद होना सम्भव नहीं है। और भारतीयोंके बिना खेती होनेकी सम्भावना कम है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २९-४-१९०५

३५४. रंगदार और गोरे लोगोंकी आयु

केप टाइम्सने प्रश्न पूछा है कि मर्दोंसे औरतें ज्यादा जीवित क्यों रहती हैं? और हब्शी, होटेनटोट और मलायी लोग गोरोंसे ज्यादा जीवित क्यों रहते हैं? मर्दुमशुमारीकी रिपोर्ट पढ़नेपर यह सवाल पैदा होता है। केपमें मर्दोंसे औरतें ज्यादा हैं। मर्दोंकी संख्या १२,१८,९४० है और औरतोंकी संख्या १२,९०,८६४ है। ६० वर्षकी आयुतक मर्दोंकी संख्या ज्यादा है लेकिन ७० वर्षकी आयु वालोंकी संख्यामें २१,७८८ मर्द हैं और २३,७१९ औरतें हैं। ८५ वर्षकी आयु वालों में २,३५५ मर्द और २,८९५ औरतें हैं। और ९५ वर्षवालोंमें ८८ मर्द और १०९ औरतें हैं। केपमें १०० वर्षसे अधिक आयुवाले मनुष्य ३०० हैं। उनमें मर्द केवल १२६ हैं और शेष सब औरतें हैं। इसी प्रकार गोरोंसे रंगदार मनुष्य अधिक आयुष्यवाले दीख पड़ते हैं।

ऐसा होनेका कारण स्पष्ट नजर आता है। यूरोपीय लोग अधिक मौज-शौक उड़ाते हैं, इस कारण उनकी आयु रंगदार मनुष्योंसे कम है और औरतोंके मुकाबले मर्दोंपर चिन्ताका अधिक बोझ होता है, इसलिए मर्दोंकी आयु कम है। उनकी तुलना भारतीयोंके साथ की जाये तो भारतीय कम उतरते हैं। इसके बहुत-से सबल कारण हैं। लेकिन मुख्य कारण यह है कि भारतीयोंका रहन-सहन दक्षिण आफ्रिकामें बहुत खराब है। पैसोंकी बचतके लिए हम बहुत सारे लोग एक कोठरीमें

  1. देखिए "दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके बारेमें लॉर्ड कर्ज़नका भाषण", ८-४-१९०५।