इस हफ्ते अंग्रेजीका काम कैसा हुआ। क्या रघुवीर बिलकुल चला ही गया? मुझे उसके लिए बहुत अफसोस है। क्या तुमने रातको काम करना बन्द कर दिया?
निःशुल्क-सूचीमें श्री एडवर्ड बी॰ रोज, ४५, ग्रेट ऑर्मन्ड स्ट्रीट, ब्लूम्सवरी, लन्दनका नाम चढ़ा लो। तुम इसी चालू अंकसे शुरू कर सकते हो।
शुभचिन्तक
मो॰ क॰ गांधी
- [पुनश्च]
- मिठाइयाँ देसाई लाये थे यह मालूम हो गया।[१]
- संलग्न : एक वक्तव्य
- टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ४२३४ ) से।
३५६. पत्र : छगनलाल गांधीको
[जोहानिसबर्ग
मई १, १९०५ के बाद][२]
तुम्हारी चिट्ठी और पोपकी पुस्तिका मिली। अगर पी॰ डेविस तीनों भाग ३० शिलिंग से कममें देनेको राजी हों तो तुम २५ पौंडमें[४] तीनों खरीद सकते हो। अगर वे पहला भाग १२ शिलिंग ६ पेंसमें बेचें तो तुम उसकी कीमत चुका सकते हो। अगर वे तीनों भाग एक-साथ देने अन्यथा बिलकुल न देने का आग्रह करें और तीनोंके ३० शिलिंग ही माँगें तब भी तुम्हें दाम चुका देना चाहिए और दूसरे दो भाग लेकर भेज देने चाहिए।
हाँ, प्रेसमें तुम्हारे नियोजनके बाद मैंने तुम्हें ५ पौंड १ शि॰ ६ पेंस भेजे थे। मैंने वह रकम प्रेसके नाम इसलिए डलवा दी है कि अन्तमें मेरी स्थिति क्या रहती है यह मैं देख सकूँ। निस्सन्देह यह रकम और शाहकी १६ पौंडकी रकम इस सालके खर्चें में शामिल नहीं होगी। शाहको दिये गये ५ पौंड और उनको उस्तरेके लिए दिये गये ५ शिलिंग मेरे नाम लिख देना। इस हफ्ते भेजी गई गुजराती सामग्री काफी है या अभी और भेजूँ?
शुभचिन्तक,
- टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ४२३५) से।
- ↑ यह गांधीजीके स्वाक्षरों में है।
- ↑ इस पत्र में जो पोपकी पुस्तिका हैंड बुक ऑफ तमिल ग्रामरका उल्लेख किया है और खर्चका ब्योरा दिया है, इन दोनोंकी चर्चा इससे पहले के पत्र में है; इससे मालूम होता है कि यह पत्र बादकी तारीखका है।
- ↑ मूल कटा-फटा है। नामके अन्तिम दो वर्ण बच रहे हैं। विषयसे जान पड़ता है कि पत्र छगनलाल गांधीको लिखा गया था। देखिए पिछला शीर्षक।
- ↑ पौंड स्पष्ट ही भूलसे लिखा गया है। शिलिंग होना चाहिए।