पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/४९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३६०. नये उच्चायुक्त और भारतीय

[मई ६, १९०५][१]

परमश्रेष्ठ लॉर्ड सेल्बोर्न अब थोड़े ही दिनोंमें जोहानिसबर्ग पहुँच जायेंगे। ब्रिटेनके प्रसिद्ध पत्रकार श्री स्टेडने अप्रैल मासके रिव्यु ऑफ रिव्यूज़ नामक पत्र में उनका जीवन-वृत्त दिया है, उससे प्रकट होता है कि परमश्रेष्ठ सेल्बोर्नने जब नवम्बर १, १८९९ को लड़ाईके बारेमें भाषण दिया था तब वे श्री चेम्बरलेन के सचिव थे। उन्होंने भाषण देते हुए बताया था कि युद्ध करनेका उद्देश्य बोअरोंके अधिकार छीन लेना नहीं था बल्कि बोअरों तथा अंग्रेजोंको समान अधिकार देना था। ब्रिटिश सरकारने स्वार्थ भाव या आर्थिक विचारोंसे प्रेरित होकर यह कार्रवाई नहीं की थी; बल्कि उसे तो दूसरोंके अधिकारोंकी छानबीन करके उनका संरक्षण करना था। ब्रिटिश सरकार जैसे केनेडा तथा आस्ट्रेलियाके लोगोंकी संरक्षक है वैसे ही दक्षिण आफ्रिकाके सिद्दियों और ट्रान्सवालमें बसे भारतीयोंकी भी संरक्षक है। इसलिए उनकी रक्षाके लिए युद्ध कर्त्तव्य हो गया था। ब्रिटिश सरकारने जो वचन दिया है उसकी पूर्ति करना उसका कर्त्तव्य हो तो उसे उपर्युक्त सब लोगों के अधिकारोंकी रक्षा करनी चाहिए। ब्रिटिश सरकारका कर्त्तव्य था कि वह ब्रिटिश प्रजाके, फिर वह काली हो या गोरी और चाहे जहाँ जाये वहाँ, अधिकार सुरक्षित रखे। परमश्रेष्ठने इस विचारसे लड़ाईका समर्थन किया।

श्री स्टेड इस भाषणका विवरण देते हुए कहते हैं कि अब यह देखना है कि लॉर्ड सेल्बोर्न किस तरह अपने वचनका पालन करते हैं। हम आशा करते हैं कि उक्त महोदय अपने वचनोंपर दृढ़ रहकर अंग्रेजोंका नाम उज्ज्वल करेंगे और भारतीयोंको उन अत्याचारोंसे मुक्त करायेंगे, जो उनपर किये जा रहे हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १३-५-१९०५
  1. देखिये "पत्र : छगनलाल गांधीको," मई ६, १९०५।