अच्छा है। ब्रिटिश भारतीय संघने यह बात निर्णयात्मक रूपसे सिद्ध कर दी है कि ट्रान्सवालमें भारतीयोंसे वादे परिस्थितियोंको पूरी तरह जानते हुए किये गये थे, अज्ञानवश हरगिज नहीं। हमें भय है कि परमश्रेष्ठने—यदि हम आदरपूर्वक कहें तो—अपने उक्त कथनमें वही गलती की है। वे भारतीयोंको अन्य रंगदार वर्गोंमें किसलिए मिला देते हैं? यदि ट्रान्सवालमें श्वेत लोगोंका बड़ा भाग किसी भेदको न देख पाये तो क्या उसे ठीक-ठीक समझानेकी दृष्टिसे प्रशिक्षित करना सरकारका कर्त्तव्य नहीं है? भारतीयोंसे अनुचित पूर्वग्रहको स्वीकार करनेकी आशा कैसे की जाती है—जब इसका अर्थ यह है कि वे उसके आगे झुकें। इसमें सन्देह नहीं कि ऐसे पूर्वग्रहको तथ्य रूपमें स्वीकार करना आवश्यक है; किन्तु यह केवल इसलिए आवश्यक है कि यह पूर्वग्रह शान्तिके साथ विचार-विनिमय करके और जनताके सामने सच्चे तथ्योंको प्रस्तुत करके दूर किया जा सके। सरकार तभी "निष्पक्ष न्याय करेगी" जब वह प्रश्नको साहसपूर्वक हाथ में लेगी और अप्रत्यक्ष रूपसे प्रचारित पूर्वग्रहको बढ़ावा देनेके बजाय दृढ़ रुख इख्तियार करके उसकी लहरको रोकनेका प्रयत्न करेगी। जहाँतक ब्रिटिश सरकारसे पत्रव्यवहार चलानेका सम्बन्ध है, हमारे पास यह माननेके पर्याप्त कारण हैं कि इसका मंशा उस सरकारसे जैसे भी हो वैसे ब्रिटिश भारतीयोंपर और भी निर्योग्यताएँ लादनेकी स्वीकृति प्राप्त करना है। क्या परमश्रेष्ठने ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयों द्वारा प्रस्तुत अत्यन्त नम्र प्रस्तावोंका अध्ययन ध्यानसे किया है? क्या उनकी सरकारने ट्रान्सवालके लोगोंसे कभी यह कहा है कि भारतीयोंकी मांगें अत्यन्त उचित हैं और उन्होंने श्वेत उपनिवेशियोंके मतसे यथासम्भव समझौता करनेकी प्रशंसनीय इच्छा व्यक्त की है?
- [अंग्रेजीसे]
- इंडियन ओपिनियन, १३-५-१९०५
३६४. बच्चोंमें धूम्रपान
केप गवर्नमेंट गज़टके एक हालके अंकमें एक मनोरंजक विधेयक छपा है। इसे केप विधान-सभामें प्रसिद्ध सदस्य श्री टी॰ एल॰ श्राइनर पेश करेंगे। श्री श्राइनर एक लोक-हितैषी और नीतिवादी व्यक्ति विख्यात हैं। प्रस्तुत विधेयकका नाम "बाल धूम्रपान निषेध विधेयक" है। उसका उद्देश्य उन बालकों में धूम्रपान रोकना है जो १६ वर्षकी आयुके या उससे कम आयुके हों या जिनकी आयु इतनी लगती हो। माननीय सदस्य जिस रीतिसे अपने उद्देश्यको सफल करना चाहते हैं वह बहुत सरल है। विधेयकके अनुसार तम्बाकू-विक्रेताओंके लिए उनको तम्बाकू, सिगार अथवा सिगरेट बेचना अपराध होगा जो १६ वर्षके या उससे कम आयुके लगते हों। उससे पुलिसको यह अधिकार प्राप्त होगा कि यदि उसे ऐसे बालकोंके पास तम्बाकू, पाइप, सिगार अथवा सिगरेट मिलें तो वह उन्हें जब्त कर ले और नष्ट कर दे। उसके अनुसार माता-पिताओं अथवा अभिभावकों को अधिकार होगा कि वे उन हानिकर वस्तुओंके विक्रेता पर उन वस्तुओंके नष्ट कर दिये जानेके बावजूद, बालकोंसे प्राप्त रुपया वापस करनेके लिए मुकदमा दायर करें। साथ ही उससे सरकारी शालाओंके शिक्षकोंको यह अधिकार मिल जायेगा कि वे धूम्रपानको शाला-सम्बन्धी अपराध मानकर लड़कोंको धूम्रपान करनेपर दण्ड दें। यह प्रायः कहा गया है कि लोग सांसदिक विधानोंसे परहेजगार नहीं बनाये जा सकते और सम्भव है, यह बात श्री श्राइनर के विधेयक पर उसी तरह लागू हो; किन्तु हम इस विचारसे सहमत नहीं हो सकते कि नशाबन्दी कानूनसे कोई अच्छा फल नहीं निकला है। हमें ऐसा लगता है कि यदि यह विधेयक