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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/४९७

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पत्र : छगनलाल गांधीको

जरूरत है और यह अच्छा गुण है। जुनूनसे एडीसन बड़ी-बड़ी खोजें करता है। जुनूनसे ही वाटने रेलकी खोज की और संसारमें यात्राको सरल बनाया। और यही जुनून हुआ तो हम इकट्ठे होकर गोरोंके साथ संघर्ष में जीतकर अपनी शिकायतें दूर करा सकेंगे। यह जुनून इस्लामका खास गुण है। ऐसा ही जुनून दूसरे कामोंमें भी बरता जाये तो बड़ा लाभ हो।

अब मेरे कहने के लिए अधिक नहीं रहता। मुझे मालूम है, जो सवाल श्री वावड़ाने उठाया है वही दूसरोंने भी उठाया है। मैंने जो सच समझा है, वह कहा है। वैसा कहने में मेरा इरादा एक भी व्यक्तिकी भावना को ठेस पहुँचानेका नहीं था और मेरे मनमें हिन्दू, मुसलमान और ईसाईके बीच कोई भेद नहीं है। ऐसा मैं कई बार कह चुका हूँ और मुझे लगता है कि मैंने उसीके अनुसार आचरण किया है। मेरा आग्रह है कि हिन्दू, मुसलमान, ब्राह्मण या भंगीके बीच कोई भी भेदभाव रखे बिना सबके प्रति समदृष्टि रखनी चाहिए। हिन्दू धर्मकी शिक्षा यही है और यही मेरा धर्म है।

मो॰ क॰ गांधी

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २०-५-१९०५

३६८. पत्र : छगनलाल गांधीको

२१-२४ कोर्ट चेम्बर्स
नुक्कड़, रिसिक व ऐंडर्सन स्टीट्स
पो॰ ओ॰ बॉक्स ६५२२
जोहानिसबर्ग
मई ११, १९०५

श्री छगनलाल खुशालचन्द गांधी

चि॰ छगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। उससे आनन्दलालके बारेमें समाधान हो जाता है। तो भी मैं उनसे यह जाननेको उत्सुक हूँ कि वे अकेले क्यों रहना चाहते हैं। अगर रुस्तमजीकी पेढ़ीके लोग ढीले हैं तो तुम उनसे जल्दी कराओ। एम॰ के॰ पटेलने अभीतक अदायगी नहीं की है। मेरा खयाल है, मुझे वह रुपया अगले महीने में किसी समय मिल जायेगा। सूचना मैं तुमको समझा चुका हूँ। उसमें तुमने जो ६ पौंडकी रकम देखी वह उस चन्देका हिस्सा है जिसे मैं केप टाउनसे लाया था। मैं तुमसे कह ही चुका हूँ कि उस सूचीमें जो तीन रकमें दर्ज हैं वे केप टाउनसे लाये गये चन्देकी हैं। और इन रकमोंको देनेवालोंके नाम, जिसमें विज्ञापकोंके नाम भी शामिल हैं, तुम्हारे पास भेजे ही जा चुके हैं। क्या तुमको वे नहीं मिले? १ पौंड १४ शिलिंगकी रकम श्री गुलके वसूल किये दो और चन्दोंकी है। उनमें से एक ग्राहक विल्सन हैं। दूसरे ग्राहकका नाम मुझे लच्छीरामसे नहीं मिला। वही रुपया लाये थे। लछीरामको पार्सल तो मिल गया है, लेकिन उसने अभी रुपया नहीं दिया है। तुम्हें पाँच पौंड प्रेसको नहीं देने हैं। मैंने बता दिया है कि मैंने यह रकम प्रेसके नाम क्यों डाली है। वह पूँजीगत व्ययका हिस्सा है। इसलिए तुम्हें उसकी फिक्र करने की जरूरत नहीं। आशा है, जो लोग बीमार थे, अब अच्छे होंगे।