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१६. आस्ट्रेलियाका ब्रिटिश तथा भारतीय साम्राज्य-संघ

आस्ट्रेलियामें स्थापित उपर्युक्त संस्थाका घोषणापत्र हमें मिला है। यह एक शुभ चिह्न है कि जो ब्रिटिश भारतवासी संसारके भिन्न-भिन्न भागोंमें जा बसे हैं, वे सम्राट्की प्रजाके नाते अपने अधिकारोंकी रक्षाके हेतु अपने ऊपर होनेवाले आक्रमणोंका प्रतिकार करनेके लिए सुसंगठित हो रहे हैं। संस्थाके पदाधिकारियोंके नाम पढ़नेसे ज्ञात होता है कि आस्ट्रेलियामें बसे हमारे देशभाई कुछ प्रभावशाली यूरोपीयोंका सक्रिय सहयोग भी प्राप्त कर सके हैं। इनमें सर्वश्री टेपू हाल, जी० थॉरबर्न, पास्कल, क्विन इत्यादिके नाम हैं। और अगर समितिके सदस्योंकी सूची संस्थाके साधारण सदस्योंकी निर्देशिका मानी जाये तो हम कह सकते हैं कि संस्था सभी वर्गके भारतीयोंका प्रतिनिधित्व करती है।

मालूम हुआ है कि श्री चार्ल्स फ्रान्सिस सीवराइट संस्थाके एक संस्थापक हैं। इंडियन डेली न्यूज़के अनुसार ये सज्जन मेलबोर्नके निवासी और वहाँके बैरिस्टर श्री मार्कस सीवराइटके दूसरे पुत्र हैं। संस्थाने श्री सीवराइटको राष्ट्रीय महासभा (नेशनल कांग्रेस) के आगामी अधिवेशन और मुस्लिम शिक्षा-परिषदके लिए अपने प्रतिनिधिके रूपमें चुना है। वे अपने साथ इन महान संस्थाओंके नाम अपनी संस्थाकी तरफसे अर्जियाँ भी ले जा रहे हैं, जिनमें उनसे अपने प्रवासी भाइयोंका खयाल रखनेकी विनती की गई है। यह एक सही कदम है, और हम श्री सीवराइटके प्रयत्नोंको बारीकीसे समझते रहेंगे; क्योंकि यद्यपि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके प्रश्नके अपने स्वतन्त्र और स्थानीय पहलू हैं और, इसलिए, श्री सीवराइटके उद्दिष्ट कार्यका उसपर शायद बहुत असर न भी पड़े, फिर भी वह एक साम्राज्यका ही प्रश्न है; इसलिए डाउनिंग स्ट्रीटके अधिकारी आस्ट्रेलियामें जो-कुछ करेंगे वह बहुत हदतक दक्षिण आफ्रिकापर भी लागू होगा।

संस्थाके उद्देश्य ऐसे हैं, जिन्हें सब पसन्द करेंगे। उसका उद्देश्य है "कॉमनवैल्थ सरकारकी ऐसे कानूनोंके पालनमें मदद करना, जो अनिष्ट प्रकारके—उदाहरणार्थ अज्ञानी, दरिद्र और अनैतिक वर्गोके—अवांछित आगन्तुकोंसे सम्बन्ध रखते हैं।" इसके अलावा उसका उद्देश्य "ब्रिटिश भारतसे आये अधिक सुसंस्कृत व्यापारी-वर्गके खिलाफ जो हानिकर रुकावटें लगी हुई है उन्हें दूर करना" भी है। संस्था यह भी चाहती है कि "आस्ट्रेलियाके भारतीय नागरिकोंका सामाजिक रुतबा बढ़ाये। ऐसा करनेसे भारतीयोंको और, उनके साथ-साथ, वहाँके जीवनमें वे जिनके दैनिक सम्पर्क में आते हैं, उनको भी लाभ पहुँचानेका दोहरा काम होगा।" घोषणा आगे कहती है:

हम सब मिलकर काम करेंगे। कोई सदस्य अपने व्यक्तिगत स्वार्थकी अभिलाषा नहीं रखेगा और सब दूसरी तमाम बातोंको छोड़कर, जिसमें सभी सदस्योंका हित होगा, उसीका सर्वोपरि ध्यान रखेंगे। हम दत्तचित्त और निःस्वार्थ रहेंगे। संस्थाके विभिन्न ऊँचे पदोंकी नियुक्तिमें किसी वर्ग या गुटका विचार नहीं करेंगे। एक संगठनके नाते हमारा लक्ष्य सारे राष्ट्र-कुटुम्ब (कॉमनवैल्थ) में ब्रिटिश भारतीयों के लिए न्याय प्राप्त करना होगा।

ये उद्देश्य प्रशंसनीय है और ऐसे हैं जिनपर किसीको आपत्ति नहीं हो सकती। और जिस भावनासे संस्थाके सदस्य काम करना चाहते हैं, वह तारीफके लायक है। और यदि वे अपने घोषणा पत्रमें लिखित मार्गपर चलते रहे तो उनकी सफलता निश्चित है। हम इस संस्थाकी