३८२. स्वर्गीय श्री ताता[१]
गत अप्रैलके आरम्भमें बम्बईके टाउन हॉलमें स्वर्गीय श्री ताताकी यादगार कायम करनेके उद्देश्यसे एक विशाल सभा की गई थी। इसमें अध्यक्ष पदपर गवर्नर लॉर्ड लेमिंगटन सुशोभित हुए और स्मारक बनाने के सम्बन्धमें प्रथम प्रस्ताव बम्बई उच्च न्यायालयके लोकप्रिय प्रधान न्यायाधीश सर लॉरेंस जेंकिसने पेश किया। उस सभामें न्यायाधीश बदरुद्दीन तैय्यबजी,[२] न्यायाधीश चन्दावरकर, माननीय श्री पारेख[३] और सर भालचन्द्र[४] आदिने भाग लिया था। गवर्नर तथा अन्य सभी वक्ताओंने यह कहा कि श्री ताताके समान उदार, सरल और बुद्धिमान सज्जन भारत में कम ही हुए हैं। श्री ताताने जो कुछ किया उसमें अपना स्वार्थं नहीं देखा। उन्होंने सरकारसे खिताब लेनेकी आकांक्षा नहीं की, और जात-बिरादरीका भेद भी नहीं माना। न्यायाधीश बदरुद्दीनके कथनानुसार उनके लिए पारसी, मुसलमान और हिन्दू सभी समान थे। उनके लिए भारतीय होना ही बस था। उनका दयाभाव बहुत ही गहन था। वे गरीबोंके दुःखोंका विचार करके स्वयं रो पड़ते थे। उनके पास अपार धन था; किन्तु उन्होंने उसमें से अपनी सुख सुविधा के लिए कुछ भी खर्च नहीं किया। उनकी सादगी जबरदस्त थी। हम चाहते हैं, भारतमें बहुतसे ताता हो।
- [गुजरातीसे]
- इंडियन ओपिनियन, २०-५-१९०५
३८३. सर फीरोजशाह मेहता
सर फीरोजशाह मेहताने बम्बईकी जैसी सेवा की है वैसी और किसीने नहीं की। आज तीस वर्षसे वे नगर निगम में हैं और बड़े-बड़े मुकदमें छोड़कर निगमकी बैठकों में उपस्थित रहे हैं; इसलिए वे निगमके पिता माने जाते हैं। इस वर्ष उनको नगर निगमके अध्यक्षका पद देनेकी बात चल रही है क्योंकि इस वर्ष प्रिंस ऑफ वेल्स भारत जानेवाले हैं। उनको नाइटकी उपाधि प्राप्त है। इसलिए टाइम्स ऑफ इंडियाने सुझाया है कि जब सर फीरोजशाह अध्यक्षके स्थानपर विराजमान हों तब सरकार उनको "लॉर्ड मेयर" की उपाधि दे तो अनुचित न होगा। यदि मेल्बोर्न तथा सिडनी के निगमोंके अध्यक्ष लॉर्ड मेयर कहे जाते हैं तो कलकत्ता और बम्बई में ऐसा क्यों न हो?
- [गुजरातीसे]
- इंडियन ओपिनियन, २०-५-१९०५
- ↑ सर जमशेदजी नसरवानजी ताता (१८३९-१९०४), महान भारतीय उद्योगपति और दानी।
- ↑ बम्बई के वकील संघके एक प्रमुख सदस्य और बादमें बम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश। दिसम्बर १८८७ के मद्रास कांग्रेस अधिवेशनके अध्यक्ष।
- ↑ सर गोकुलदास काहनदास पारेख—बम्बई विधान परिषद के सदस्य।
- ↑ सर भालचन्द्र भातवड़ेक—बम्बईके एक प्रमुख डॉक्टर और सार्वजनिक सेवक।