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३८८. पत्र : पारसी कावसजीको

[जोहानिसबर्ग]
मई २३, १९०५

श्री पारसी कावसजी
११५, फील्ड स्ट्रीट
डर्बन
श्री पारसी कावसजी,

आपका पत्र मिला। आपके बारेमें मेरी रुस्तमजी सेठसे बातचीत हुई थी। उनका विचार जमानतके बिना मदद करनेका नहीं था, इसलिए मैं हाँ नहीं कह सकता। मुझे सीधा रास्ता यह दिखाई देता है कि आप रुस्तमजी सेठको लिखें और जबतक जवाब न आये तबतक चुप रहें।

मो॰ क॰ गांधीके सलाम

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ ११९।

३८९. पत्र : चिन्दे-स्थित सरकारी अफसरको

[जोहानिसबर्ग]
मई २३, १९०५

सरकारी अफसर
प्रतिनिधि, उपनिवेश-सचिव
चिन्दे
ब्रिटिश मध्य आफ्रिका
महोदय,

मैंने सुना है कि सरकार चिदेमें रेलमार्ग बनवा रही है। यदि वहाँ काम मिल सके तो इस समय ट्रान्सवालमें कुछ सौ भारतीय हैं जो चिदेको[१] रवाना होनेके लिए उत्सुक हैं। इनमें से कुछ लोग चिदेमें या ब्रिटिश मध्य आफ्रिकाके दूसरे हिस्सोंमें काम भी कर चुके हैं।

मैं आपका कृतज्ञ हूँगा यदि आप कृपया मुझे यह सूचित करेंगे कि वहाँ उनके लिए कोई गुंजाइश है या नहीं, और यदि है तो उन्हें अपनी दरख्वास्तें कहाँ भेजनी चाहिए।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ १२०।
  1. पुर्तगाली पूर्वी आफ्रिकामें एक छोटा शहर, जहाँ १९२३ तक ब्रिटिशोंको विशेषाधिकार प्राप्त थे।