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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/५१३

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पत्र : ई॰ ए॰ वॉल्टसेको

यदि बहुत काम हो तो अन्य कामोंसे पहले इसे कराना। कागज अच्छा लगाना। प्रूफकी जरूरत नहीं है, ताकि देर न हो। मैं तुम्हें मूल अंग्रेजी भी भेजता हूँ जिससे तुम कठिनाईके बिना अपना अनुवाद करा सको।

मो॰ क॰ गांधीके आशीर्वाद

संलग्न[]
[अंग्रेजीसे]
पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ १३३।

३९२. पत्र : ई॰ ए॰ वॉल्टर्सको

[जोहानिसबर्ग]
मई २५, १९०५

श्री ई॰ ए॰ वॉल्टर्स
विजर्टन
केप कालोनी
प्रिय महोदय,

विषय : कुवाडिया और सीदत

इस मामले में, हालमें भेजे गये मेरे सब पत्रोंकी उपेक्षा की गई है। स्वयं कर्जदार मुझे लिखता है कि उसने आपको पूरी रकम चुका दी है। इसलिए यदि मुझे आपसे चुकते हिसाबकी सूचना नहीं मिलती तो मैं अत्यन्त अनिच्छासे यह मामला पंजीकृत न्याय-संघ (इनकॉरपोरेटेड लॉ सोसाइटी) केप टाउनके समक्ष रखनेके लिए बाध्य हूँगा।[]

आपका विश्वासपात्र,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ १४५।
  1. ये उपलब्ध नहीं हैं।
  2. गांधीजीने पंजीकृत न्याय संघको बादमें पत्र लिखा; देखिए "पत्र : न्याय संघको" २२-६-१९०५।