सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/५१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३९३. पत्र : कैखुसरू और अब्दुल हकको

[जोहानिसबर्ग]
मई २५, १९०५

श्री जालभाई सोराबजी ब्रदर्स
८४, फील्ड स्ट्रीट
डर्बन
श्री भाई कैखुसरू और अब्दुल हक,

आपका पत्र मिला। रुस्तमजी सेठने नूरुद्दीनके बारेमें जैसी सूचना दी है वैसा ही करना। नूरुद्दीनको मैंने सेठ रुस्तमजीको सीधा पत्र लिखनेके लिए कहा है।

हुसेन ईसपको, अगर वह अच्छा काम करता हो और विश्वासी हो तो, ७ पौंडतक पेशगी वेतनपेटे दे दीजिये।

मो॰ क॰ गांधीके सलाम

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ १५३।

३९४. पत्र: उमर हाजी आमद झवेरीको

[जोहानिसबर्ग]
मई २५, १९०५

श्री उमर हाजी आमद झवेरी
बॉक्स ४४१
डर्बन
श्री सेठ उमर हाजी आमद झवेरी,

आपका पत्र तथा सेठ हाजी मुहम्मदके पत्रकी नकलें मिलीं। पत्र पढ़कर बहुत आश्चर्य और दुःख होता है कि बुजुर्ग और समझदार व्यक्तिको भी भान नहीं रहता। मुझे लगता है कि जब पत्र मिला था तभी आपने छोटा-सा जवाब दे दिया होता तो ठीक था। परन्तु अभी-तक जवाब नहीं दिया, इसलिए अब मुझे जवाब देनेकी जरूरत दिखाई नहीं देती। मुझे पत्र मिलेगा तो आपको लिखूँगा।

मो॰ क॰ गांधीके सलाम

गांधीजी के स्वाक्षरों में गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ १५७।