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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भारतीय इस मुकदमेसे अपने संघर्षमें एक कदम और आगे बढ़ जाते हैं और १८८५ का कानून ३ शस्त्र रूपमें उनके खिलाफ प्रयोगकी दृष्टिसे और भी कुण्ठित हो जाता है। यदि कोई भारतीय सम्पत्ति के लाभके अधिकारीके रूपमें अपने नामका पंजीयन करानेका आग्रह करे तो उसका नाम इस तरह पंजीकृत किया जा सकता है या नहीं, इसकी परीक्षा करना एक बड़ी दिलचस्प बात होगी। यदि भारतीय ऐसे परीक्षात्मक मुकदमेमें जीत जायें तो वे तनिक भी जोखिमके बिना ट्रान्सवालके किसी भी भाग में व्यवहारतः जमीनके मालिक हो सकेंगे और इसपर सामान्य बुद्धिके दृष्टिकोणसे विचार करें तो हमें ऐसा लगता है कि सर्वोच्च न्यायालयके निर्णयसे यह बात उपसिद्धान्तकी तरह निष्पन्न होती है। चूँकि अब यह फैसला हो गया है कि वतनी ट्रान्सवालके किसी भी भाग में जमीनी जायदादके मालिक हो सकते हैं और उसका पंजीयन अपने नाम पर करा सकते हैं, इसलिए यह निश्चय ही उनके न्याय्य अधिकारोंके अनुकूल होगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २७-५-१९०५

३९७. मुस्लिम बनाम हिन्दू

हमने ईस्ट लंदन के एक समाचारपत्र में एक हिन्दू और मुसलमान भाईके बीचका पत्र-व्यवहार बड़े खेदके साथ पढ़ा है। हम समझते थे कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजके सभी वर्गों में अधिक से अधिक मेलकी प्रत्यक्ष जरूरतके आगे इस तरहके प्रेम-भावकी[१] गुंजाइश नहीं है। हम इन पत्रोंके गुण-दोषकी चर्चा नहीं करना चाहते, केवल इस प्रकारके व्यवहारके प्रति नापसन्दगी जाहिर करना चाहते हैं। हम विश्वास करते हैं कि पत्रलेखक भी हमारे साथ-साथ खेद प्रकट करनेकी समझदारी दिखायेंगे और पत्र-व्यवहारको जहाँका तहाँ रोक देंगे। यहाँ दूसरी और अपेक्षाकृत अधिक महत्त्वपूर्ण बातें मौजूद हैं जिनकी ओर वे ज्यादा लाभप्रद रूपसे ध्यान दे सकते हैं। हमें शायद अपने पाठकोंको यह स्मरण दिलाने की अनुमति दी जायेगी कि इंडियन ओपिनियन दक्षिण आफ्रिकाके सारे भारतीय मसलोंकी चर्चा करनेके लिए विशेष पत्र है; और यदि दुर्भाग्य से भारतीयोंके बीच मतभेद उत्पन्न हों तो उनको प्रकाशमें लाने के लिए हमारे स्तम्भ स्वाभाविक और अत्यन्त उपयुक्त माध्यम हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २७-५-१९०५
  1. यह अंग्रेजीके जिस शब्दका अनुवाद है उसका प्रयोग शायद व्यंग्य के रूपमें किया गया है, या वह मुद्रणकी भूल है। इसके स्थानमें सम्भवतः दूसरा शब्द होगा जिसका अर्थ होता है "शत्रु-भाव"।