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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

परवाना-अधिकारीने अपनी बुद्धि का उपयोग करके जो निर्णय किया उसे परिषद-सदस्य जोन्सने साहसके साथ "लज्जाजनक" कहा। और परिषद-सदस्य विल्सनके विचारमें वह "अनुचित" है। बेशक अपील सुननेवाले न्यायालयके ये न्यायाधीश क्या खूब हैं! ध्यान देनेकी बात है कि परवाना देनेवाले अधिकारीके निर्णयके विरोधमें की गई अपीलोंको सुननेका अधिकार डंडी नगर-परिषदको दिया गया है। ऊपरके विवरणका अर्थ यह हुआ कि अब डंडीके परवाना-अधिकारीको परवानेके लिए जो अर्जियाँ आयें उनपर अपनी तरफसे कोई निर्णय नहीं देना चाहिए। उसे तो केवल नगर परिषदका भोंपू बनकर केवल उसकी आज्ञाओंका पालन करते रहना चाहिए। फिर भी इस अंग्रेजी उपनिवेशमें हमसे कहा जाता है कि विक्रेता-परवाना अधिनियमके[१] अन्दर अर्जदारोंको अपील करनेका अधिकार है। हम तो कहना चाहेंगे कि वास्तवमें परवाना अधिकारीका कार्य नहीं, बल्कि नगर-परिषदके उक्त दोनों सदस्योंके, जो खुद ही डंडीमें दूकानदार है, उद‍्गार ही लज्जाजनक हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-१०-१९०३

१९. एशियाई "बाजार"

हमारे सहयोगी वेस्टर्न ट्रान्सवाल ऐडवर्टाइज़र और जीरस्ट एक्सप्रेसने एशियाई बाजारों के प्रश्नपर जो विचार प्रकट किये हैं, उन्हें हम हर्षके साथ नीचे दे रहे हैं।

व्यापारी-संघ (चेम्बर ऑफ कॉमर्स) की बैठकके विचारणीय विषयोंके बारे में लिखते हुए हमारा सहयोगी अपने अग्रलेखमें कहता है:

एशियाई बाजारोंका तीसरा प्रश्न एक ऐसा विषय है, जिसपर काफी चर्चा करनेकी जरूरत है। व्यापारी संघ इस विषयमें इतना जोर क्यों लगा रहा है, यह अभीतक हमारी समझमें नहीं आया। हमें कहा तो सिर्फ इतना ही गया है कि अगली बैठकमें उसपर विचार होगा, किन्तु हमारा अनुमान यह है कि इस बैठकमें सरकारसे विनती की जायेगी कि वह अध्यादेशपर अमल करनेके लिए तुरन्त कदम उठाये। हमें कुछ भी नहीं मालूम कि एशियाई व्यापारियोंको शहरसे बाहर हटानेके लिए कुछ-न-कुछ करनेके लिए संघ इतना उतावला और अधीर क्यों हो रहा है और हम समझते हैं कि हमारे शहरकी धूलभरी सड़कोंपर बहस करना इससे अधिक संगत है।

हमारे सहयोगीको इस प्रश्नपर इतनी समझ-भरी दृष्टिसे विचार करते हुए देखकर हमें प्रसन्नताका अनुभव हुआ है और हम सहयोगी ऐडवर्टाइज़रकी रायसे सहमत है कि व्यापारीसंघ भारतीय व्यापारियोंको जीरस्टसे हटानेके लिए अत्यन्त आतुर है। हमें ज्ञात हुआ है कि जीरस्टमें पहलेसे ही एक पृथक् बस्ती है, जिसे पुरानी हुकूमतने बसाया था। और यह कि, वर्तमान सरकारने उसका पुन: सर्वेक्षण किया है और उसे वह बाजारका नया नाम देकर उन तमाम भारतीय व्यापारियोंको वहाँ हटाना चाहती है, जिनके पास लड़ाईके पहले परवाने नहीं थे। हमारी राय है कि यह कार्य सरकारके द्वारा जारी की गई अपनी सूचनाके[२] अनुरूप

  1. कानूनकी धाराओंके लिए देखिये खण्ड २, पृष्ठ ३८३-३८६।
  2. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ ३१४।