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३९९. जोहानिसबर्ग में चेचक[१]

जोहानिसबर्ग में चेचक आ गई है। कहा यह जाता है कि वह मुसाफिरी जहाजोंसे आई है। इसका मलायी बस्तीसे आरम्भ हुआ है। इसका सबसे पहला रोगी एक मलायी था। उसके बाद यह रोग एक गोरेको हुआ। डॉक्टर पोर्टर के कथनानुसार ५ भारतीय भी व्याधिग्रस्त हुए हैं। मलायी बस्तीमें बड़ी सख्ती की जा रही है। सुबह और शाम लोगोंके घरोंकी जाँच की जाती है। अगर चेचक अधिक फैली तो बड़ी दिक्कतें पैदा होनेकी सम्भावना है। मलायी वस्तीमें जबरन टीके लगाये गये हैं। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। नगर परिषदने कानून बनाये हैं। और जब वे अमलमें आयेंगे तब सम्भवतः बहुत-सी कठिनाइयाँ सामने आयेंगी।

उपाय लोगों के ही हाथमें है। घर साफ रखना, हर रोज नहाना, पानी और दूध आदि स्वच्छ रखना, कपड़े साफ पहिनना, और मकानमें हवा और रोशनी काफी आने देना। ये चेचक और दूसरी बीमारियोंको रोकने के उपाय हैं। यदि घरमें किसीको चेचक निकले तो उसकी खबर अधिकारियोंको तुरन्त दी जाये। लोग ऐसे रोगोंको डरके मारे जितना छिपायेंगे उतना ही अधिक कष्ट होगा तथा रोग अधिक फैलेगा और अधिकारी विरोधी हो जायेंगे। फिर रोगीको अन्तमें अस्पताल तो ले जाया ही जायेगा। तब यदि हम स्वयं ही खबर दे दें तो परेशानी कम होनेकी सम्भावना है। रोगीको अस्पताल ले जानेसे कोई नुकसान नहीं होगा; बल्कि जल्दी आराम होने की सम्भावना है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २७-५-१९०५

४००. पत्र : मुहम्मद सीदतको

जोहानिसबर्ग
मई २७, १९०५

श्री मुहम्मद सीदत
मार्फत श्री एम॰ सी॰ एंग्लिया
ग्रे स्ट्रीट
डर्बन

श्री सेठ मुहम्मद सीदत व अन्य इस्लामी न्यासी,

आपका पत्र मिला। मेरे भाषण[२] और लेखसे आपको और दूसरे सज्जनोंको बुरा लगा, उसके लिए मुझे बहुत दुःख है और मैं माफी चाहता हूँ।

उस भाषणमें मेरा उद्देश्य तमाम भारतीयोंकी सेवा करना था। मैं मानता हूँ कि वैसी ही छाप मेरे भाषणके श्रोताओंके मनोंपर पड़ी है।

  1. यह "हमारे संवाददाता द्वारा" प्राप्त रूपमें छपा था।
  2. देखिए खण्ड ४, पृष्ठ ३९५, ४०२ और ४३५।