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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/५३८

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४२२. पत्र : न्याय-संघको

[जोहानिसबर्ग]
जून २२, १९०५

सेवामें
मन्त्री
संयुक्त न्याय-संघ
केप टाउन
महोदय,

मैंने विजनके बड़े वकील श्री ई॰ ए॰ वॉल्टर्सको[] एक रकमकी वसूलीका काम सौंपा था जो जोहानिसबर्गके एक मुवक्किलको उसी जगह या जिलेके एक निवासीसे लेनी थी। जैसा कि कर्जदारने मुझे लिखा है, वह अपने ऊपर पूरी वाजिब रकम श्री वॉल्टर्सको अदा कर चुका है। परन्तु उन्होंने मुझे उस रकमका केवल एक हिस्सा भेजा है और मैंने पिछले बारह महीनोंमें उनको जो पत्र लिखे हैं उनकी उपेक्षा की है। उनको यह काम फरवरी १९०४ के आस-पास सौंपा गया था। मैंने उनको अपना पिछला पत्र २५ मई १९०५ को लिखा था। इसमें उनको सूचना दी थी कि यदि वे मेरे पत्रोंका उत्तर न देंगे तो मैं उनके इस कार्य की ओर आपके संघका ध्यान आकृष्ट करूँगा। दुर्भाग्यसे उन्होंने उस पत्रका भी कोई उत्तर नहीं दिया है।

इसलिए मैं इस मामलेको आपके ध्यानमें ला रहा हूँ ताकि संघ इसके सम्बन्धमें जो कार्यवाही करना उचित समझे वह करे।

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ ३९३।
  1. देखिए "पत्र : ई॰ ए॰ वॉल्टर्सको", मई २५, १९०५।