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४२९. पत्र : गो॰ कृ॰ गोखलेको

२१–२४ कोर्ट चेम्बर्स
नुक्कड़, रिसिक व ऐंडर्सन स्ट्रीट्स
पो॰ ऑ॰ बॉक्स नं॰ ६५२२
जोहानिसबर्ग
जून २६, १९०५

सेवामें
माननीय प्रोफेसर गोखले सी॰ आई॰ ई॰
८४ व ८५ पेलेस चैम्बर्स
वेस्टमिन्स्टर
प्रिय प्रोफेसर गोखले,

अवश्य ही अब आप इंग्लैंड में अपने कार्यको सम्पादित करने में बहुत अधिक व्यस्त होंगे। मेरे मन में इस विषय में जरा भी सन्देह नहीं है कि दक्षिण आफ्रिकामें बसे ब्रिटिश भारतीयोंके लिए आपके हृदयमें स्थान अवश्य होगा। क्या आपके लिए भारतवर्षको लौटते समय दक्षिण आफ्रिका होकर जाना सम्भव है? यदि आप ऐसा कर सकें और इसकी सूचना मुझे कृपा करके पहलेसे ही दें तो दक्षिण आफ्रिकाके विभिन्न भागों में आपको ठहरानेकी उपयुक्त व्यवस्था कर दी जायेगी। मेरा सुझाव है कि आप दक्षिण आफ्रिकाको एक मास दें। यदि आप आ सकें तो दक्षिण आफ्रिकामें आपके पर्यटनका खर्च यहाँका भारतीय समाज उठायेगा। आप केप टाउनमें उतरें, किम्बर्ले, ब्लूमफॉटीन, जोहानिसबर्ग और प्रिटोरिया होकर गुजरें; वहाँसे नेटाल जायें और डर्बन और पीटरमैरित्सबर्ग देखें, तदनन्तर डेलागोआ-वे जायें, और फिर वहाँसे या तो पूर्वी तटपर होकर मोजाम्बीक, जंजीबार, लामू और मोम्बासाकी यात्रा करें, या लंका होकर जायें और मार्गमें मॉरिशसमें ठहरें। मू:ल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (जी॰ एन॰ ४१०५) से।

आपका सच्चा,
मो॰ क॰ गांधी