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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/६२

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२५. ईस्ट लन्दन और उसके भारतीय निवासी

हम अन्य स्तम्भमें ईस्ट लंदन डिस्पैचका एक संयत अग्रलेख उद्धृत करते हैं, जो नगरमें भारतीयों द्वारा भूमि-सम्पत्ति रखनेके प्रश्नपर लिखा गया है। हमारे सहयोगीने यह लेख एक भारतीयके साथ, जिसने वहाँकी एक प्रधान सड़कपर भूमिका एक टुकड़ा खरीदा था और उसकी अच्छी कीमत दी थी, घटित घटनाके आधारपर लिखा है। हम अपने सहयोगीसे पूर्णत: सहमत हैं कि नगर-परिषद भवन-निर्माण कानूनोंको कठोरतासे लागू करे, और हम उसे विश्वास दिलाते हैं कि यदि नगर-परिषद इस दिशामें अपने कर्तव्यका पालन करे तो सदासे सीधे-सादे और नियम-पालक भारतीय उन कानूनोंको भंग करके कभी मकान न बनायेंगे। अपने इस कथनकी सत्यताके प्रमाणस्वरूप हम भारतीय व्यापारियों द्वारा डर्बनमें ग्रे स्ट्रीटपर और अन्यत्र बनाई गई शानदार इमारतोंका हवाला देते हैं। मुख्य बात यह है कि भारतीयोंके साथ बन्धुजन और बन्धु प्रजाजनका-सा व्यवहार किया जाना चाहिए। हमें इसमें सन्देह नहीं कि भारतीयोके विरुद्ध अनुचित या ओछी स्पर्धा और अन्य दोषोंके जो आरोप प्रायः अनुचित रूपसे लगाये जाते हैं, उनका कारगर इलाज यही है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-११-१९०३

२६. प्लेग और लाल-फीताशाही

हमें कई संवाददाताओंसे इस आशयकी शिकायतें मिली है कि यद्यपि नेटालसे ट्रान्सवाल जानेवाले भारतीयोंपर से प्लेग-सम्बन्धी रुकावटें हटा ली गई हैं, फिर भी प्रामाणिक ब्रिटिश भारतीयोंको १० शि० ६ पें० खर्च करके डॉक्टरी प्रमाणपत्र लेने पड़ते हैं और फोक्सरस्टमें अब भी उनकी डॉक्टरी परीक्षा की जाती है। चिकित्सा अधिकारी उन्हें मजिस्ट्रेटके नाम पत्र दे देता है कि इस दिनतक उनको डॉक्टरी निगरानीमें रखा जाये। हमें यह लाल-फीताशाहीका अतिरेक प्रतीत होता है। यदि नियमोंके हटाये जानेके बाद भी ये परेशानियाँ जारी रहती है तो हम नहीं जानते, ट्रान्सवाल-सरकारकी प्लेग सम्बन्धी सूचनाको रद करनेका अर्थ क्या है। डॉक्टरी प्रमाणपत्र लेना और उसके लिए आधी गिन्नी देना गरीब शरणार्थियोंपर बिलकुल अनावश्यक कर है। अत: ट्रान्सवालकी सरकार अपने अधिकारियोंको जितनी जल्दी आवश्यक निर्देश भेज देगी, भारतीय शरणार्थियोंके लिए उतना ही अच्छा होगा। वस्तुस्थिति यह है कि इन गरीबोंको पिछले नौ माससे सफाई और स्वास्थ्य-सम्बन्धी सावधानीके नामपर अनन्त कष्टों और असुविधाओंका लक्ष्य बनाया जा रहा है। जबकि दूसरे हजारों लोग तनिक भी डॉक्टरी निरीक्षण या व्यवस्थाके बिना मुक्त रूपसे नेटालसे ट्रान्सवालमें प्रविष्ट होने दिये जाते हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-११-१९०३