जो आन्दोलन छेड़ा, उससे इस दफ्तरका बल और भी बढ़ गया, और परिणाम यह हुआ कि अब हमें बाजार-सम्बन्धी सूचनाका सामना करना पड़ रहा है।
पिछली जनवरीमें जब ब्रिटिश भारतीय शिष्टमण्डल श्री चेम्बरलेनसे मिला था तब वे समझ ही नहीं सकते थे कि जो परवाने एक बार दिये जा चुके, उन्हें वापिस किस प्रकार लिया जा सकता है?
इसके अतिरिक्त, दूसरी श्रेणीके व्यक्तियोंकी संख्या बहुत कम है; उनके हाथमें भी बहुत माल रुका पड़ा है और किसी-किसीने दूकानोंके पट्टे भी ले रखे है। इन सबको यदि बाजारोंमें जानेके लिए विवश किया गया तो उसका मतलब इनका पूर्ण विनाश कर डालना होगा।
सरकारने जिन इलाकोंमें बाजारोंके लिए स्थानका चनाव करना उचित समझा है, उनमें से कइयोंके व्यापार-पेशा लोगोंसे ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन) सच्चे हालात जाननेका यत्न कर रहा है। अबतक प्राप्त विवरणोंके अनुसार इनमें से एक भी स्थान ऐसा नहीं है—जहाँ 'गोरे' या काफिर ग्राहक जाना पसन्द करेंगे—यद्यपि लॉर्ड मिलनर और सर आर्थर लॉली, दोनोंने हमें विश्वास दिलाया था कि उनका चुनाव शहरोंके अन्दर और ऐसे स्थानोंपर किया जायेगा, जहाँ ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंको गोरे और काफिर, दोनों प्रकारके ग्राहकोंसे व्यापार करनेकी उचित सुविधाएँ मिल सके।
हरएक मामलेमें बाजारोंको रास्तोंसे दूर हटाकर कायम किया गया है, और यद्यपि कानूनकी दृष्टिसे वे शहरकी हदमें हैं, तथापि उसके बसे हुए भागोंसे अवश्य ही दूर है। एक मामला तो ऐसा था कि वर्तमान बस्तीको और भी परे हटानेका यत्न किया गया था। यहाँ यह भी जिक्र कर देना चाहिए कि परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नरने हमारे शिष्टमण्डलसे कहा था कि उनकी सम्मतिमें बाजारोंके स्थानोंका चुनाव बहुत अच्छा किया गया है और जिन लोगोंको वहाँ जाना पड़ेगा उन्हें व्यापार करनेका अच्छा अवसर मिलेगा।
परमश्रेष्ठका अत्यन्त आदर करते हुए हम कहना चाहते है कि इस सम्बन्धमें सर्वथा निष्पक्ष तथा अच्छा स्थानीय अनुभव रखनेवाले लोगोंकी रिपोर्ट और अपना सारा जीवन व्यापारमें बिताये हुए लोगोंकी सम्मतियाँ आखिरकार परमश्रेष्ठकी सम्मतिसे कहीं अधिक विश्वसनीय हैं।
बाजारके स्थानके बारेमें निम्नलिखित रिपोर्ट नमूनेके लायक है।
श्री जे० ए० नेसिर, जे० पी०, वकील, क्लार्क्सडॉर्प बाजारके बारेमें कहते हैं :
मेरी सम्मतिमें प्रस्तावित स्थान व्यापारके लिए उपयुक्त नहीं है; क्योंकि यह सम्भावना नहीं कि नगरके निवासी इतना फासला तय करके वहाँ खरीदारी करनेके लिए जायेंगे … पुराने शासनमें पृथक् भारतीय बाजार कोई नहीं था।
डॉ० जुप, एम०बी०, बी०एस०सी० कहते हैं:
मेरी सम्मतिमें इस समय जो स्थान बाजारके लिए अंकित किया गया है वह स्वच्छताकी दृष्टिसे निन्दनीय है।
इस लेखके लिखे जा चुकनेके पश्चात्, वहाँके जिला-सर्जनने भी उक्त स्थानकी निन्दा की है।
इंडिया ऑफिस : ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ४०२।