पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३२. ऑरेंज रिवर उपनिवेश और अश्वेत-कानून

गवर्नमेंट गजटके अभी हालके एक अंकमें बिलकुल स्पष्ट रूपसे बताया गया है कि ऑरेंज रिवर उपनिवेशकी सरकार रंगदार लोगोंकी स्वतन्त्रतापर प्रतिबन्ध लगानेवाले विधानोंपर अमल करनेसे किन्हीं भी बातोंके विचारसे रुकनेवाली नहीं है। २३ अक्टूबरके गजटमें नगरपालिका कानूनमें संशोधनके लिए एक अध्यादेशका मसविदा प्रकाशित किया गया है। इसमें नगरपालिकाओं के चुनावोंमें मतदाताओंकी निर्योग्यताओंके सम्बन्धमें यह धारा है:

ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो १८९३ के कानून ८ की धारा ८ के अनुसार रंगदार व्यक्ति है, और जो किसी गोरे पिताके रंगदार माताके साथ या किसी रंगदार पिताके गोरी माताके साथ वैध विवाहको सन्तान नहीं है या जिसने ऐसी सन्तान होनेपर भी कानूनके ३४ वें अध्यायकी धाराओंके अन्तर्गत इस उपनिवेशमें अचल सम्पत्तिका स्वामित्व या अधिकार प्राप्त नहीं किया है, मतदाता होनेके अयोग्य है।

अब १८९३ के कानून ८ की धारा ८ के अन्तर्गत,

जो 'रंगदार व्यक्ति' शब्द इस कानूनमें आते हैं उनमें, जबतक किसी प्रकरणमें स्पष्ट निषेध न हो तबतक, ये लोग सम्मिलित होंगे: दक्षिण आफ्रिकाकी किसी भी वतनी जातिके १६ वर्षकी आयु या अनुमानित आयुसे ऊपरके एक या अनेक पुरुष या स्त्री, सब रंगदार लोग और वे सभी लोग जो किसी भी नस्ल या जातिके हों, किन्तु कानून या रिवाजके अनुसार रंगदार माने जाते हों, या रंगदार लोगोंकी भाँति व्यवहार पाते हों।

अतः यह परिभाषा इतनी व्यापक है, जितनी कल्पनामें आ सकती है और इसमें ब्रिटिश भारतीय भी सम्मिलित हैं। यह धारा स्वतः अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि हम जानते है कि ट्रान्सवाल-सरकारने अभी हालमें ही सभी रंगदार लोगोंका नगरपालिकाओंके चुनावोंमें भाग लेनेका अधिकार छीन लिया है। ब्रिटिश भारतीयोंकी यह निर्योग्यता निश्चय ही उनपर लगी निर्योग्यताओंमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है; किन्तु जब हम इसे ब्रिटिश भारतीयोंके विरुद्ध सरकारकी जान-बूझकर अख्तियार की गई शत्रुतापूर्ण नीतिके उपलक्षणके रूपमें देखते हैं तब यह कोई कम महत्त्व नहीं रखती। उपनिवेश सरकार भूतकालीन परम्परासे बिलकुल विमुख नहीं हो सकती। पुराने कानूनोंमें परिवर्तन होना भी है तो बुराईकी दिशामें ही। श्री चेम्बरलेनने लॉर्ड मिलनरको प्रेषित खरीतेमें उनकी एशियाई गिरमिटिया मजदूरोंकी माँगका उत्तर देते हुए दोनों उपनिवेशोंके भारतीय-विरोधी कानूनोंका उल्लेख किया है और यह आशा व्यक्त की है कि वे निर्दिष्ट दिशामें राहत देंगे। हमने ऊपर जिस धाराका उल्लेख किया है, और वे धाराएँ जिनका उल्लेख हम करनेवाले हैं, उस खरीतेके ऑरेंज रिवर उपनिवेश द्वारा दिए गये उत्तर हैं। जो उपनिवेश उपनिवेश-कार्यालयके अधीन और उसके सीधे नियन्त्रणमें है, उसकी सरकार किस प्रकार उस कार्यालयके प्रधान-अधिकारीके आदेशोंका उल्लंघन करती है और किस प्रकार ब्रिटिश भारतीयोंके सम्बन्धमें पिछले कानूनोंको हटानेसे इनकार ही नहीं करती जाती, बल्कि ब्रिटिश भारतीयोंको बाँधनेवाली रज्जुको और भी कड़ा करती जाती है, यह अकल्पनीय