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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/७१

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ऑरेंज रिवर उपनिवेश और अश्वेत-कानून

है। अध्यादेशके इसी मसविदेमें पीछे हम कुछ धाराएँ बस्तियोंके सम्बन्धमें भी देखते हैं। हाशियेपर अंकित टिप्पणीमें "वतनी बस्तियों" का उल्लेख है; किन्तु धारा स्पष्ट रूपसे "सभी रंगदार लोगों" पर लागू होती है। वह इस प्रकार है:

परिषदको अधिकार है कि वह नगर-पालिकाओंकी भूमिके उस भाग या भागोंपर, जहाँ वह उचित समझे, बस्तियाँ स्थापित करे, जिनमें अपने मालिकोंके मकानों में रहनेवाले घरेलू नौकरोंके अतिरिक्त अन्य सभी रंगदार लोग रहनेके लिए बाध्य किये जा सकेंगे। वह समय-समयपर इन बस्तियोंको बन्द कर सकती है और नई बस्ती या बस्तियाँ बसा सकती है। परिषदको इन लोगोंके उचित नियंत्रणके लिए नियम बनानेका अधिकार भी दिया जाता है। कोई भी पुरुष या स्त्री, जिसकी अनुमानित आयु सोलह वर्षसे अधिक हो, या साठ वर्षकी अनुमानित आयुसे कम हो, इन बस्तियोंमें अड़तालीस घंटेसे अधिक न रहेगा, जबतक

(क) वह वस्तुतः नगरपालिकाकी सीमामें या नगरपालिका-क्षेत्रकी सीमासे बाहर पाँच मीलके घेरेमें रहनेवाले किसी गोरे मालिक का कर्मचारी न हो और उसके पास इस आशयका नगर परिषदका परवाना न हो। या जबतक

(ख) उसने सन् १८९३ के कानून ८ की धारा ३ के अनुसार अपनी ओरसे काम करनेकी अनुमतिका प्रमाणपत्र न ले लिया हो और वस्तुतः उस कार्यमें लगा हुआ न हो। या जबतक

(ग) वह ऐसा व्यक्ति न हो, जिसने रंगदार जन-राहत अध्यादेश (कलर्ड पर्सन्स रिलीफ़ ऑडिनेन्स), १९०३ को धाराओंके अन्तर्गत अपवादपत्र प्राप्त कर लिया हो। या जबतक

(घ) वह किसी ऐसे पुरुषको वैध पत्नी न हो जो पहले कही धाराओंके अन्तर्गत ऐसी बस्तीमें रह रहा हो।

उन उपधाराओंका निचोड़ यह है कि एक बस्तीकी सीमामें, जो अस्तबल या काँजीहौसकी तरह परिषदकी इच्छासे हटाई जा सकती है, रहनेके लिए भी एक रंगदार व्यक्तिको पूर्वानुमति लेनी आवश्यक है और वह एक छोटा नौकर होना चाहिए, अर्थात् वह उपनिवेशमें तबतक नहीं रह सकता जबतक वह विशुद्ध मजदूर न हो। हमारे पाठक कहीं यह कल्पना न कर लें कि इन उल्लिखित कानूनोंमें रंगदार चर्मधारियोंके लिए बड़े-बड़े विशेषाधिकार सुरक्षित हैं, अत: हम यहाँ यह जिक्र कर दें कि १८९३ के कानून ८ की धारा ३ में यह विधान है: स्थानीय निकाय ५ शिलिंग प्रतिमास शुल्क देनेपर रंगदार व्यक्तिको अपनी सेवाएँ जिसको चाहे उसको बेचनेकी अनुमति दे सकते है, बशर्ते कि वह ऐसा करनेके लिए आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त कर ले। रंगदार जन-राहत अध्यादेशमें इसकी जो योग्यताएँ बताई गई है वे बहुत ऊँची हैं। इन योग्यताओंसे रंगदार व्यक्ति व्यक्तिगत परवाना रखनेसे, जिसे समय-समयपर नया कराना पड़ता है, और जिसका निश्चित शुल्क देना पड़ता है, छूट प्राप्त करनेका अधिकारी हो सकता है। यह महँगी छूट बहुत ही अप्रिय विधि-विधानोंमें से गुजरनेके बाद दी जाती है और इसमें वस्तुतः मामूली परवानेकी जगह छूटका प्रमाणपत्र होता है। इससे अधिक इस अध्यादेशसे कोई राहत नहीं मिलती। और ऐसे छूट प्राप्त व्यक्तिपर अन्य सभी निर्योग्यताएँ—जैसे व्यापार करने, खेती करने, अचल सम्पत्ति खरीदने, बस्तियोंके बाहर रहने आदि पर लगाई निर्योग्यताएँ