१०१. नेटालकी पाठशालाएँ
शिक्षा-विभागके अधीक्षककी रिपोर्ट
नेटालके शिक्षा विभागके अधीक्षक श्री मुडीने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि भारतीयों और अन्य काले लोगोंकी पाठशालाओंमें लड़कोंकी स्वच्छतापर आवश्यक ध्यान नहीं दिया जाता। श्री मुडीकी यह बात सदा ध्यानमें रखने योग्य है। यद्यपि श्री मुडी हमारे खैरख्वाह नहीं हैं, फिर भी वे जहाँ हमारी भूल बतायें वहाँ हमें विचार करनेकी जरूरत है। माता-पिताओंको इस बारेमें पूरा-पूरा ध्यान देना चाहिए। हम लोग स्वयं स्वच्छताके नियमोंका पालन न करते हों तो भी बच्चोंको वह सिखा देना जरूरी है। अगर वे सीखेंगे तो एक पीढ़ीमें ही बड़ा परिवर्तन होनेकी सम्भावना है। लड़कोंके सम्बन्धमें निम्नलिखित बातें याद रखने योग्य हैं:
(१) उनके दाँत साफ होने चाहिए। इसके लिए सुबह और सोनेसे पहले उनसे दंत-मंजन करवाना चाहिए।
(२) उनके बाल साफ होने चाहिए। इसके लिए उनके बाल सदैव छोटे, हमेशा धुले हुए और कंघी किये हुए रखने चाहिए। तेल डालना आवश्यक नहीं है।
(३) उनके नख स्वच्छ होने चाहिए, और समय-समयपर उन्हें काटना और हमेशा धोना चाहिए।
(४) जूते और कपड़े, चाहे कितने ही सादे हों, फिर भी साफ होने चाहिए।
(५) उनका बस्ता और उनकी किताबें भी उसी प्रकार साफ होनी चाहिए। और इसलिए उनको चाहिए कि हाथ साफ हों, तभी वे पुस्तकोंको उठायें। यह कहनेकी आवश्यकता नहीं है कि इन सूचनाओंको याद रखने और लड़कोंसे उनका पालन करवानेसे लाभ होगा।
१०२. जोहानिसबर्गवासियोंको सूचना
हम जोहानिसबर्गके अखबारों में देखते हैं कि वहाँ बुखारका मौसम शुरू हो गया है। नगर- पालिकाने घोषित किया है कि जो लोग अपने पाखाने गन्दे रखेंगे उनपर मुकदमा चलाया जायेगा। वहाँ कायदा यह है कि प्रत्येक पाखानेमें, जब-जब उसका उपयोग किया जाये, मैलेपर सदैव सूखी मिट्टी अथवा राख अथवा जन्तु-नाशक भूसी डाली जाये, ताकि मैला ढंक जाये। पाखानेमें जरा भी सीलन अथवा बदबू न रहने दी जाये। यदि इसके अमलमें कोई कसर रहती है तो पाँच पौंड तक जुर्माना किया जाता है। यह नियम बहुत अच्छा है। राख अथवा सूखी मिट्टीका पैसा नहीं लगता। हम अपने पाठकोंसे खास सिफारिश करते हैं कि वे पाखानेमें मिट्टीका कनस्तर रखें और जब-जब पाखानेको काममें लायें तब-तब मैलेपर डिब्बेसे मिट्टी अथवा राख डालें।