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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/३७८

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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


विलायत जानेवाला शिष्टमण्डल

सर विलियम वेडरबर्न तथा हमारे दूसरे हितचिन्तकोंको पत्र लिखे गये थे कि हम शिष्टमण्डल विलायत भेजें या नहीं। उसके जवाब में उन लोगोंने तार भेजा है कि जबतक उनका पत्र न आये, रुकें। उनके पत्रकी १५ जून तक आ जानेकी सम्भावना है।

भारतीयका खून

आजके अखबार में यह खबर है कि हैदर नामके एक एशियाईको क्लीवलैंड स्टेशनके पास गत रातको मार डाला गया। जान पड़ता है, मृत व्यक्तिको किसीने छुरा मारा है। खूनी कौन है, अथवा खून किस कारण हुआ, यह मालूम नहीं पड़ा। अखबारमें यह भी बताया गया है कि हैदर कंगाली हालत में था। वह काम ढूंढ रहा था।

वतनियोंके लिए नई बस्ती

वतनियोंको जल्दी-जल्दी क्लिपस्प्रूटमें ले जानेकी हलचल हो रही है। नगरपालिकाने नियम भी बनाये हैं। किन्तु अफवाह यह है कि यद्यपि कुछ वतनियोंने वहाँ जमीन ली है, तो भी वे अपनी बस्तीमें जानेके बदले अभी नगरमें अपने मालिकोंके यहाँ रहते हैं।

नगरपालिकाके नये नियम

जोहानिसबर्ग नगरपालिका विधान सभाके चालू सत्रमें नया कानून पास कराना चाहती है। उसमें उसने एशियाई 'बाजार' पर भी अधिकारकी माँग की है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २-६-१९०६
 

३६३. पत्र : लक्ष्मीदास गांधीको[]

जोहानिसबर्ग
मई २७, १९०६

आदरणीय भाई साहब,

आपका १७ अप्रैलका पत्र मिला। क्या लिखूँ, कुछ समझमें नहीं आता। आपकी मेरे खिलाफ धारणा बन गई है। बनी हुई धारणाका तो कोई इलाज नहीं। मैं लाचार हूँ। मैं आपके पत्रका पूरा जवाब ही दे सकता हूँ।

१. आपसे जुदा होनेका मेरा कोई खयाल नहीं है।

२. वहाँकी चीजोंपर मैं कोई हक नहीं जताता।

३. कुछ भी मेरा है, यह मेरा दावा नहीं है।

४. मेरे पास जो कुछ भी है, वह सब लोक-सेवामें लगाया जा रहा है।

५. वह उन रिश्तेदारोंको सुलभ है, जो लोक-सेवा करते हैं।

 
  1. यह पत्र मूलतः गुजराती में था। इसका अनुवाद श्री वालजी गोविन्दजी देसाईने और उनके कथनानुसार संशोधन स्वयं गांधीजीने किया था। मूल गुजराती प्रति उपलब्ध न होनेसे यह अनुवाद अंग्रेजीसे किया गया है।