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शिष्टमण्डल: लॉर्ड एलगिनकी सेवामें

निःसन्देह अँगूठा-निशानी उस अवस्थामें अपराधियोंको पकड़ने के लिए शुरू की गई थी; किन्तु मेरी समझमें नहीं आता कि अपने आपमें अँगूठा-निशानी लागू करना बहुत अपमानजनक कार्य क्यों है। दरअसल मुझे सदा यह बात बहुत आश्चर्यजनक लगी है कि हर अंगूठा-निशानीका पता लगाया जा सकता है; सम्भव है, दुर्बोध लिखावटकी अपेक्षा, जिसे हममें से कुछ हस्ताक्षर कहते हैं, इसमें कुछ अच्छाई हो। और इसी तथ्यका उल्लेख-भर करके मैं इसे श्री गांधी के ध्यानमें लाना चाहता हूँ कि उन्होंने वर्तमान अध्यादेशके अन्तर्गत जारी जो अनुमतिपत्र मुझे दिया है उसपर वर्तमान अध्यादेशके अन्तर्गत अंगूठेकी वैसी ही छाप लगी हुई है जैसी नये अध्यादेशके अन्तर्गत होगी।

श्री गांधी: जैसा कि मैंने कहा था, वह तो हमने लॉर्ड मिलनरके परामर्श और प्रोत्साहनपर केवल अपनी इच्छासे किया। इसके लिए उन्होंने हमसे अनुरोध किया था।

अर्ल ऑफ एलगिन: बिलकुल ठीक; किन्तु फिर भी यह एक प्रमाणपत्र है, सरकारी प्रमाणपत्र है; और इसपर अंगूठेकी निशानी लगी है।

लॉर्ड स्टैनले ऑफ ऐल्डर्ले: वह बिना किसी पूर्वग्रहके किया गया था।

लॉर्ड एलगिन: मेरी समझमें यह बात नहीं आती कि पंजीयन प्रमाणपत्रमें इसे बिना पूर्वग्रहके क्यों नहीं लगाया जाता?

सर मं० मे० भावनगरी: क्या मैं एक बात कहूँ? लॉर्ड मिलनरने ब्रिटिश भारतीयोंसे जो कुछ करनेको कहा, वह इस खयालसे किया गया था कि समाजके साथ किये जानेवाले व्यवहारका पूरा मामला फिलहाल उपनिवेश-मन्त्री, और लॉर्ड मिलनर तथा स्थानीय अधिकारियोंके बीच विचाराधीन है; अतएव, सम्भव है, उन्होंने लॉर्ड मिलनरकी हिदायतका पालन आदरपूर्वक जैसा कि लॉर्ड स्टैनलेने अभी-अभी कहा है, बिना किसी पूर्वग्रहके किया हो। किन्तु इससे तो ट्रान्सवालमें एक प्रजाजन और दूसरे प्रजाजनके बीच भेद-भाव उत्पन्न होता है।

लॉर्ड एलगिन: यह न समझिए कि मेरे कथनका कुछ और अर्थ है; मुझे तो इस समय इतना ही कहना है कि हमारे सामने एक प्रलेख मौजूद है जो आजकल अँगूठेके निशानके साथ उपयोग में लाया जा रहा है, और उसे अपमानजनक नहीं कहा जा सकता।

श्री गांधी: यह दस अँगुलियोंके निशानकी बात है।

लॉर्ड एलगिन: क्या दस अँगुलियोंके कारण यह और भी अपमानजनक हो जाता है?

सर हेनरी कॉटन: केवल अपराधियोंके मामलेमें इसकी आवश्यकता होती है।

लॉर्ड एलगिन: मैं इसपर बहस नहीं करना चाहता; परन्तु मेरा खयाल है कि यहाँ इतना ही कहा जा सकता है ।

इसके बाद पंजीयनके विषयमें एक बात है, वह यह कि यदि पंजीयनकी पद्धतिका पालन किया गया तो इससे उन लोगोंको, जिनका ट्रान्सवालमें पंजीयन होगा, अपने हकोंपर निश्चित और अपरिहार्य अधिकार प्राप्त हो जायेगा। इस मामलेमें ट्रान्सवाल सरकारको यही स्थिति है। और पास साथ रखने अथवा निरीक्षण अधिकारके अत्याचारपूर्ण उपयोगके सम्बन्धमें मुझे सूचना मिली है। मैंने इस बातकी थोड़ी पुष्टि कर ली है कि जहाँतक अध्यादेश सम्बन्धी प्रमाणपत्रोंकी जाँचका सवाल है, शायद वह वर्षमें केवल एक बार की जायेगी। जहाँतक आकस्मिक