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१५९
पत्र: सर लेपेल ग्रिफिनको

वर्तमान व्यवस्था अवैध प्रवेशको रोकने में पूरी तरह कारगर है; और भारतीयोंके पास अभी जो कागजपत्र हैं वे शिनाख्त के प्रयोजनोंके लिए पर्याप्त हैं। यदि इन कथनोंको चुनौती दी जाती है--और चुनौती दी ही जा चुकी है--तो क्या कमसे कम सामान्य न्यायभावनाके लिए यह आवश्यक नहीं है कि एक जाँच आयोगकी नियुक्ति की जाये।

आपके, आदि,
[मो० क० गांधी
हा० व० अली०]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४५४३) से।

१५९. पत्र: सर लेपेल ग्रिफिनको

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर १२, १९०६

प्रिय सर लेपेल,

आपके पत्रके लिए आभारी हूँ। 'टाइम्स' का अग्रलेख बहुत महत्त्वपूर्ण है, और कुल मिलाकर निश्चय ही सहानुभूतिपूर्ण भी।

क्या मैं आपसे यह प्रार्थना करनेकी धृष्टता कर सकता हूँ कि आप 'टाइम्स' को असन्तोषके सवाल और प्रश्नके साम्राज्यीय महत्त्वपर जोर देते हुए एक छोटा-सा पत्र लिखें?

श्री अली और मैंने 'टाइम्स' को जो पत्र[१] लिखा है उसकी एक प्रति मैं इसके साथ भेज रहा हूँ।

मैं दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके लिए एक स्थायी समिति बनानेके प्रश्नपर सर मंचरजीके साथ विचार करता रहा हूँ। शिष्टमण्डलका कार्य, यदि उसके दक्षिण आफ्रिका लौट जानेके बाद जारी नहीं रखा गया तो, व्यर्थ हो जायेगा। यदि एक छोटी-सी समिति बना दी गई तो उससे बड़ी सहायता मिलेगी। क्या हम आपके सहयोगका भरोसा कर सकते हैं? यदि आप अपना नाम समितिके लिए दें तो मैं और श्री अली आपके आभारी होंगे। जोहानिसबर्गसे अभी-अभी एक समुद्री तार मिला है जिसमें ऐसी समिति बनानेकी स्वीकृति दी गई है।

आपका सच्चा,

[संलग्न]

सर लेपेल ग्रिफिन, के० सी० एस० आई०
४, कैडोगन गार्डन्स
स्लोन स्क्वेयर

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४५४४) से।

  1. देखिए पिछला शीर्षक।