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१८५. पत्र: दादाभाई नौरोजीको[१]

[होटल सेसिल
लन्दन, डब्ल्यू ० सी०]
नवम्बर १६, १९०६

महानुभाव,

दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समाजकी ओरसे हमें अधिकार दिया गया है कि हम दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीयोंको उचित और न्याय्य व्यवहार प्राप्त करानेके लिए एक समितिका निर्माण करें। समितिका नाम "दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय चौकसी समिति" प्रस्तावित किया गया है।

यदि आप हमें यह सूचित करनेका कष्ट करें कि आप समितिमें शामिल होनेकी कृपा करेंगे या नहीं, तो हमें बहुत प्रसन्नता होगी, और हम आपके आभारी होंगे।

हम निवेदन कर दें कि सिवा उन सज्जनोंके, जो एक छोटी-सी कार्यकारिणी समितिके सदस्य नामजद किये जायेंगे, समितिके अन्य सदस्योंसे लगातार और सक्रिय काम करनेकी अपेक्षा नहीं की जायेगी।

जो सज्जन ऐसा सोचते हैं कि ब्रिटिश भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिकामें उचित और न्याय्य व्यवहार नहीं मिल रहा है, हम उन सबका नैतिक बल प्राप्त करनेके लिए उत्सुक हैं।

दक्षिण आफ्रिकाके श्री एल० डब्ल्यू० रिचने समितिका मन्त्री होना स्वीकार कर लिया है।

आपके विश्वस्त,
मो० क० गांधी
हा० व० अली

श्री दादाभाई नौरोजी
२२, कैनिंगटन रोड, एस० ई०

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (जी० एन० २२७१) से।

  1. यह एक परिपत्र था जो सर हेनरी कॉटन, सर जॉर्ज बर्डवुड, सर लेपेल ग्रिफिन, सर चार्ल्स डिल्क, लॉर्ड स्टैनले ऑफ ऐल्डलें, सर चार्ल्स श्वान, सर विलियम वेडरबर्न, ए० एच० स्कॉट, जे० एम० रॉबर्टसन, हेरॉल्ड फॉक्स, टी० एच० थॉर्नटन और जे० डी० रीजको भी भेजा गया था।