पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/२१०

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१८८. पत्र: ए० बॉनरकी पेढ़ीको

[होटल
सेसिल लन्दन]
नवम्बर १६, १९०६

ए० बॉनरकी पेढ़ी
१ व २, टुक्स कोर्ट
लन्दन, ई० सी०

प्रिय महोदय,

२ पौंड ८ शिलिंगका चेक आपके बिलके साथ भेज रहा हूँ। भरपाई करके बिल वापस भेजनेकी कृपा कीजिए।

आपका विश्वस्त,

संलग्न: २

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५७९) से।


१८९. पत्र: श्रीमती स्पेंसर वॉल्टनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १६, १९०६

प्रिय श्रीमती वॉल्टन,

कल हम लोगोंकी जो बातचीत हुई उसके विषय में मैं अभी-अभी अपने एक योग्य मित्रसे[१] बातें कर रहा था। वे पंजाब के आर्यसमाजके एक व्रती प्रचारक हैं। आर्यसमाजका हिन्दू धर्मसे वही सम्बन्ध है जो प्रोटेस्टेन्ट सम्प्रदायका कैथलिक सम्प्रदायसे है। प्रचारक मित्रने निष्कांचनताका व्रत लिया है और वे अपनी प्रतिभाको धर्मके साथ-साथ शिक्षाके कार्य में लगाते हैं। वे पंजाब विश्वविद्यालयके एम० ए० हैं, किन्तु अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के विचारसे लन्दनमें निवास कर रहे हैं और लन्दन विश्वविद्यालयकी एम० ए० परीक्षाकी तैयारी कर रहे हैं। मैंने उन्हें सुझाया है कि यदि वे किसी शान्त, भले अंग्रेज घरमें रह सकें, तो वे अंग्रेजोंके जीवनकी वास्तविक संस्कृति और सुन्दरतासे परिचित हो सकेंगे, जो उनके काममें बहुत अधिक उपयोगी होगा। साथ ही उन्हें जितना सम्भव हो, उतनी कमखर्चीसे रहना है। क्या आप किसी ऐसे परिवार से परिचित हैं जो आर्थिक लाभका खयाल किये बिना उन्हें अपने यहाँ रख ले? निस्सन्देह वे अपने रहने और खानेका खर्च देंगे, किन्तु वे एक पौंड प्रति सप्ताहसे अधिक नहीं दे सकेंगे।

  1. प्रोफेसर परमानन्द।