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संसद सदस्योंके लिए प्रश्नोंका मसविदा


(घ) गैर-मुसलमानोंके बीच इस्लाम और मुसलमानोंके सम्बन्धमें फैली हुई मिथ्या धारणाओंको दूर करना।

(ङ) संसारके किसी भी भाग में सहायता के इच्छुक किसी भी मुसलमानको यथाशक्ति वैध सहायता देना।

(च) गैर-मुस्लिम देशोंमें धार्मिक उत्सव मनानेकी सुविधाएँ देना।

(छ) ऐसे वाद-विवादों तथा भाषणोंका आयोजन करना तथा ऐसे निबन्धोंको पढ़ना जिनसे इस्लाम के हितोंको प्रोत्साहन मिलनेकी सम्भावना हो।

(ज) लन्दनमें एक मसजिद बनवाने, उसके लिए एक स्थायी निधि स्थापित करने तथा मुसलमानोंके कब्रिस्तानको बड़ा करनेके लिए संसारके सभी भागोंसे चन्दा इकट्ठा करना।

उसके सदस्य साधारण, विशिष्ट और मानसेवी, तीन दर्जीके होंगे।

साधारण अधिवासी सदस्योंके लिए वार्षिक चन्दा १० शि० ६ पेंस है; और अनधिवासी सदस्योंको केवल ५ शि० ६ पें० का प्रवेश शुल्क देना पड़ता है।

श्री शेख मुशीर हुसैन किदवई वर्तमान स्थानापन्न अवैतनिक मन्त्री हैं। उनसे इस पतेपर पत्रव्यवहार किया जा सकता है: द्वारा सर्वश्री टॉमस कुक ऐंड सन्स, लुडगेट सरकस, लन्दन, ई० सी०।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-१२-१९०६

१९७. संसद सदस्योंके लिए प्रश्नोंका मसविदा[१]

[नवम्बर १७, १९०६ के पूर्व]

प्रश्न १

क्या परममाननीय उपनिवेश-मन्त्रीको गत २८ सितम्बरके ट्रान्सवाल सरकारके 'गज़ट' में प्रकाशित फोडडॉर्प बाड़ा अध्यादेशके सम्बन्धमें ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघ के अध्यक्ष श्री अब्दुल गनीका प्रार्थनापत्र मिला है? क्या लॉर्ड महोदय एक स्वपत्र (लेटर्स पेटेंट) के अन्तर्गत सुरक्षित अधिकारके अनुसार महामहिमको वह अध्यादेश रद कर देनेकी सलाह देंगे; क्योंकि वह ब्रिटिश भारतीयों तथा अन्य रंगदार लोगोंपर फीडडॉर्पमें पट्टे रखने या बाड़ोंपर बने रहने के बारेमें प्रतिबन्ध लगाता है?

क्या यह सत्य नहीं है कि फीडडॉर्प मलायी बस्तीसे लगा हुआ है और वहाँ काफी तादाद में भारतीय रहते हैं?

  1. कदाचित् गांधीजीने इन चार प्रश्नोंका मसविदा संसद सदस्योंके लिए तैयार किया था। इनमें से चौया प्रश्न १७ नवम्बर १९०६ को एक पत्रके साथ श्री जे० डी० रीज़को भेजा गया था (पृष्ठ १९३); और उन्होंने २२ नवम्बर १९०६ को श्री चर्चिलसे यह प्रश्न पूछा। प्रश्न और उत्तर दोनों १-१२-१९६० के इंडिया में पुनः उद्धृत किये गये थे।