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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


क्या यह सत्य नहीं है कि फोडडॉ में बहुत-से बाड़े भारतीयोंके अधिकारमें हैं? क्या ढाँचे खड़े नहीं किये हैं और ऐसे बाड़ोंमें वे अपना व्यापार उनमें से कुछने कतिपय बाड़ोंमें पक्के नहीं चला रहे हैं?

क्या यह भी सत्य नहीं कि डच शासनके समय बहुत से ब्रिटिश भारतीय फीडडॉप में रहते थे और उस समय उनके वहाँ रहनेपर कोई आपत्ति नहीं उठाई गई थी?

प्रश्न २

पूर्वोक्त प्रश्नको दृष्टिमें रखते हुए परममाननीय उपनिवेश मन्त्रीको क्या यह आवश्यक नहीं लगता कि ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयों की स्थितिसे सम्बन्धित सम्पूर्ण प्रश्नकी जाँच के लिए एक निष्पक्ष आयोग नियुक्त किया जाये?

प्रश्न ३

क्या ब्रिटिश उपनिवेशोंमें २८ सितम्बर १९०६ के ट्रान्सवाल 'गवर्नमेन्ट गज़ट' में प्रकाशित एशियाई कानून संशोधन अध्यादेश के समान कोई विधान सम्बन्धी पूर्वोदाहरण मौजूद है?

क्या यह सत्य नहीं है कि कथित अध्यादेश द्वारा अपेक्षित पास रखनेके कारण ट्रान्सवालके भारतीयोंकी जैसी स्थिति हो जायेगी, ब्रिटिश भारतीयोंकी वैसी स्थिति महामहिमके साम्राज्य में कहीं भी नहीं है?

प्रश्न ४

क्या परममाननीय उपनिवेश मन्त्रीने सरकार बनाम मुहम्मद हाफिजी मूसाके मामले से सम्बन्धित उस अपीलकी रिपोर्ट नहीं देखी जो ट्रान्सवालके सर्वोच्च न्यायालय द्वारा .... मासकी... तारीखको[१] सुनी गई थी? उस मामलेमें ११ वर्षसे कम आयुके एक भारतीय बालकको, जो अपने पिता के साथ रहता था, गिरफ्तार कर फोक्सरस्ट मजिस्ट्रेटके सामने पेश किया गया। वह अपराधी साबित हुआ। अतः, उसे ५० पौंड जुर्माने या ३ महीनेकी कैदको सजा हुई, और हुक्म दिया गया कि यथास्थिति सजा भुगत लेते या जुर्माना अदा कर देनेके बाद वह देश छोड़कर चला जाये?

क्या लॉर्ड महोदय जानते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त सजाको रद्द कर दिया और ब्रिटिश भारतीयोंसे सम्बन्धित शान्ति-रक्षा अध्यादेशकी निन्दा करते हुए उसपर कड़ी टिप्पणी दी? सरकार इस मामले में क्या कदम उठाना चाहती है?

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४६६७) से।

  1. प्रश्नको इंडियाने इस रूपमें उद्धृत किया था: "ट्रान्सवालके सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी महीने सुनी गई थी" आदि।