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१९८. पत्र: वुलगर और रॉबर्ट्सको पेढ़ीको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १७, १९०६

वुलगर और रॉबर्ट्सकी पेढ़ी
८८, फ्लीट स्ट्रीट, ई० सी०
प्रिय महोदय,

आपकी भेजी अखबारकी कतरनें मिलीं। मैं देखता हूँ, आपने मुझे कल 'टाइम्स' में प्रकाशित सर रोपर लेथब्रिजका पत्र नहीं भेजा है। मैं चाहता हूँ कि आप बहुत सावधानी से काम करें, जिससे मुझे यह भरोसा रहे कि सारी कतरनें मुझे भेजी जा रही हैं। मुझे २० अक्तूबरसे ३ नवम्बर तक की कतरनें भी नहीं मिलीं। मैं जानता हूँ कि ट्रान्सवाल और नेटाल सहित दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंकी स्थितिके विषयमें इस बीच काफी उल्लेख किये गये थे। 'आफ्रिकन वर्ल्ड' में किये गये उल्लेखोंकी ओर भी मेरा ध्यान खींचा गया था । यदि आप इन सब कतरनोंको पूरा करके भेज सकें, तो आभारी होऊँगा। चेक समयपर आपके पास भेज दिया जायेगा।

आपका विश्वस्त,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५८६) से।

१९९. पत्र: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी ब्रिटिश समितिको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १७, १९०६

प्रिय श्री हॉल,

जोहानिसबर्गके ब्रिटिश भारतीय संघको भेजे गये एशियाई अध्यादेश से सम्बन्धित एक तारका श्री नौरोजीने ३ पौंड, १० शिलिंग दिया है। संघके कार्यवाहक मन्त्रीने मुझे लिखा है कि श्री नौरोजीके पाससे उन्हें एक स्मरणपत्र मिला है। क्या आप कृपा करके अध्यादेश सम्बन्धी खर्च के लिए समितिको दिये गये कोषमें से वह रकम भिजवा देंगे? जब मैं आपसे पैलेस चेम्बर्स में मिला था तब इसके बारेमें बातचीत करनेका इरादा था। मुझे इतना अधिक काम