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२०६. पत्र: जी० जे० ऐडमको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १७, १९०६

प्रिय श्री ऐडम,

सर हेनरी कॉटनने मुझे जवाब दिया है। वे कहते हैं कि मेरे सुझाये हुए प्रश्नको[१] पूछना उपयोगी नहीं है, क्योंकि जानकारी देना उपनिवेश कार्यालयकी पद्धतिका एक अंग ही है। यदि प्रश्न पूछने के लिए आप किसी अन्य सदस्यको राजी कर सकें, तो निश्चय ही बहुत अच्छा होगा।

शायद आपको मालूम है कि श्री मॉर्ले शिष्टमण्डलसे २२ तारीखको मिलेंगे। लगभग वे ही सज्जन इस शिष्टमण्डलमें भी शामिल किये जायेंगे, जो लॉर्ड एलगिनसे मिलनेवाले शिष्टमण्डल में शामिल हुए थे।

आपका सच्चा,

श्री जी० जे० ऐडम
२४, ओल्डज्यूरी, ई० सी०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४५९४) से।

२०७. शिष्टमण्डलकी टीपें--२

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर १७, १९०६

नेताओंसे मुलाकात: उनकी सहानुभूति और मददके वादे

पिछला सप्ताह बहुत ही कार्यव्यस्त बीता। घड़ी-भरकी भी फुरसत नहीं मिली। अलीगढ़ के श्री थिओडोर मॉरिसन और 'रिव्यू ऑफ रिव्यूज़' के प्रख्यात श्री स्टेडने हमें मुलाकात दी। श्री स्टेडने पूरी मदद देने का वचन दिया है। इसलिए उनसे निवेदन किया गया है कि भारतीयोंको काफिरोंके बराबर न माननेके लिए वे बोअर सरदारोंको लिखें[२]

'पंजाबी' तथा 'अमृत बाजार पत्रिका' में लिखनेवाली बहन कुमारी स्मिथसे भी मुलाकात हुई है। नैतिकतावादी समिति संघ (यूनियन ऑफ एथिकल सोसाइटी) की मन्त्री कुमारी विंटरबॉटमने[३] पूरी मदद करना स्वीकार किया है।

  1. इस सम्बन्धमें कि शिष्टमण्डलकी कार्रवाईका विवरण टाइम्समें कैसे प्रकाशित हो गया; देखिए "पत्र: सर हेनरी कॉटनको", पृष्ठ १५१।
  2. देखिए "पत्र: डब्ल्यू० टी० स्टेडको", पृष्ठ १७९।
  3. देखिए "पत्र: कुमारी विंटरबॉटमको", पृष्ठ १६८।