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पत्र : लॉर्ड एलगिनके निजी सचिवको


अब मैंने अपना वक्तव्य दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समितिके मन्त्री श्री रिचको भेज दिया है और उनसे कहा है कि वे उसे टाइप कराकर और एक टाइप की हुई प्रतिके साथ मूल प्रति लॉर्ड एलगिनको पेश करनेके लिए आपके पास भेज दें।

आपका पत्र संलग्न पत्रोंके साथ यथासमय मिल गया था। इसके लिए आपको धन्यवाद।

आपका विश्वस्त,
मो॰ क॰ गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकलसे, सी॰ ओ॰ १७९, खण्ड २३९, इंडिविजुअल्स।
 

[संलग्न]
वक्तव्य : नेटालके ब्रिटिश भारतीयोंको स्थितिके सम्बन्ध में[१]

१. मैं सवालके केवल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और आवश्यक भागपर विचार करनेका साहस करूँगा।

प्रवास अधिनियम

२. इस अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंके साथ एक असंदिग्ध अन्याय किया गया है, क्योंकि उनको अपने विश्वस्त मुनीम और घरेलू नौकर लानेकी छूट नहीं दी गई है।

३. इसका परिणाम यह है कि थोडेसे मुनीमों और नौकरोंका एकाधिकार हो गया है।

४. जो लोग उपनिवेशके अधिवासी बन चुके हैं, उनमें से बड़ी संख्या में विश्वस्त मुनीम मिलना भी सम्भव नहीं है।

५. विश्वस्त मुनीमोंमें, सामान्यतः, और घरेलू नौकरोंमें, निरपवाद रूपसे, प्रवास कानून के अन्तर्गत शिक्षा-सम्बन्धी परीक्षा में खरा उतरने लायक योग्यताका अभाव होता है।

६. यह नहीं कहा जाता कि ऐसे लोगोंको अधिवास के अधिकार दे दिये जायें, किन्तु सम्मानपूर्वक निवेदन किया जाता है कि उनको उपनिवेशमें अस्थायी रूपसे रहने के लिए प्रवेश करने दिया जाये; बशर्तें कि वे अपने मालिकोंके यहाँ नौकरी पूरी करनेके बाद उपनिवेशको छोड़कर चले जानेकी गारंटी दें।

विक्रेता परवाना अधिनियम

७. इस अधिनियमसे गम्भीरतम हानि हुई है और हो रही है। ब्रिटिश भारतीय व्यापारी पूर्णतः उन परवाना अधिकारियों की दयापर निर्भर हैं जिनके निर्णयोंपर सर्वोच्च न्यायालय भी पुनर्विचार नहीं कर सकता।

  1. यह श्री एल॰ डब्ल्यू॰ रिचने ४ दिसम्बरको लॉर्ड एलगिनके निजी सचिवको भेजा था।