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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

यात्राओंमें मार्गदर्शन करनेवाला प्रसिद्ध सेलू—इनमें से एक भी व्यक्ति तम्बाकू (बीड़ी) नहीं पीता। मैफेकिंगमें बेडन पावेल के पासकी सारी तम्बाकू खतम हो जानेपर वहाँके बीड़ी पीनेवाले बिलकुल बेकार हो गये थे; क्योंकि जबतक उन्हें बीड़ी नहीं मिलती थी वे एकदम शिथिल हो जाते थे। बीड़ी इस प्रकार मनुष्यको गुलाम बना लेती है। विलायत में कहा जाता है कि बीड़ीके व्यसनी अपने आसपास के लोगोंकी जरा भी चिन्ता या परवाह नहीं करते। यह गन्दगी जब बच्चोंमें घुस जाती है तब तो बड़े भयंकर परिणाम होते हैं। बच्चे चोरी करना सीख जाते हैं, अन्य अपराध करते हैं, माता-पिताको छलते हैं और उनका स्वास्थ्य बहुत खराब हो जाता है। स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और ठीक जवानीमें पहुँचते-पहुँचते उनका मनोबल बहुत क्षीण हो जाता है। भारतीय समाजमें बीड़ीने यूरोप जितना प्रवेश नहीं किया है, परन्तु यदि समझदार भारतीय अपने आपको भूलकर बीड़ीके इस दुर्व्यसनकी ओर जरा भी झुकाव रखेंगे तो हमारे अनेक अनिष्टोंमें यह एक और अनिष्ट जुड़ जायेगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-१-१९०
 

३०१. सम्भावित नये प्रकाशन

जो पुस्तकें अंग्रेजीमें छपी हैं पर जिनका अनुवाद भारतमें नहीं हुआ है और जिनके पठन-पाठनसे प्रत्येक भारतीयको कुछ न कुछ लाभ हो सकता है ऐसी पुस्तकोंका अनुवाद या सारांश हम प्रकाशित करना चाहते हैं। हमारे पाठकोंमें मुसलमानोंकी संख्या विशेष है, इसलिए सुप्रसिद्ध न्यायाधीश अमीर अलीकी इस्लामके सम्बन्धमें जो पुस्तक अभी-अभी प्रकाशित हुई है—उसका अनुवाद देनेका हमारा इरादा है। न्यायाधीश अमीर अलीने उसका अनुवाद करनेकी अनुमति दे दी है। परन्तु अभी उसके प्रकाशकोंकी अनुमति मिलना बाकी है। यदि यह अनुमति प्राप्त हो गई और हमारे इस इरादेसे पाठकगण भी प्रसन्न हुए और उनका प्रोत्साहन हमें मिला तो हम 'इस्लामकी भावना' (स्पिरिट ऑफ इस्लाम) का अनुवाद पुस्तकाकारमें प्रकाशित करना चाहते हैं। हमें कहना चाहिए कि न्यायाधीश अमीर अलीकी यह पुस्तक सारी दुनियामें प्रसिद्ध है और वह मुसलमान ही क्या, प्रत्येक भारतीयके लिए पठनीय है। उसमें बहुत कुछ सीखने योग्य है। इस सम्बन्धमें हमारे पाठक कुछ सुझाव देना चाहें तो दे सकते हैं। हम उन सुझावोंका खयाल रखेंगे और आभारी होंगे। सुझाव संक्षिप्त और साफ अक्षरोंमें लिखकर भेजे जायें यह हमारी प्रार्थना है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-१-१९०७