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३३८. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग
फरवरी २, १९०७

चि॰ छगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। फर्मके बारेमें सोमवारको।

इसके साथ तुम्हारे भेजे हुए पत्र और मुझे मिली हुई सामग्री टिप्पणी सहित भेज रहा हूँ। उसपर पूरा ध्यान देना।

भारतीय-विरोधी कानून निधिके नाम दिया गया तुम्हारा बिल ठीक था। आज उसे भेज रहा हूँ। पैसा जमा कर लिया है। टिकट लगाकर रसीद भेजना। उसी तरह फ्रीडडॉर्प अध्यादेशकी अर्जीके सम्बन्ध में तुमने अक्तूबरमें पाँच पौंड जमा बताये हैं। उतनेका बिल बनाकर उसके नामसे उस तारीख की रसीद भेजना, जिससे मैं उसे अपनी फाइलमें नत्थी कर सकूँ।

आज थोड़ी ही सामग्री भेज रहा हूँ। कल और भेजूँगा।

हरिलाल ठक्करको खूब शान्त रखना और उसके साथ बहुत ही ममतासे बरतना। आज मेरे पास उसकी चिट्ठी आई है। मैंने उसे उसका जवाब दिया है।[१] उसका मन अभीतक बिलकुल शान्त नहीं जान पड़ता।

मोहनदासके आशीर्वाद

[पुनश्च]

श्री रिचकी मुलाकातका[२] विवरण श्री वेस्टके नाम भेजा है। उसका जो हिस्सा निकाल दिया है, उसे छोड़कर शेषका अनुवाद इसी बार देना।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४६९५) से।

  1. यह पत्र उपलब्ध नहीं है।
  2. फ्रीडडॉ बाबा अध्यादेश और नेटाल नगरपालिका विधेयकके सम्बन्धमें पाल माल गज़टके संवाददाता से श्री रिचकी भेंट देखिए इंडियन ओपिनियन, फरवरी २, १९०७।